💐 विजयादशमी 💐नौ दिन की शक्ति पूजा ने शक्ति दिया था राम कोभवानी के आशीर्वाद ने पूर्ण किया था काम कोदसवें दिन संकल्पित,हर्षित प्रभु चले रण जीतने कोसंशय ,भ्रम हटाने औऱ निराशा से मन रीतने कोमात सीया को मुक्त कराना ये तो एक बहाना थाश्रम,संघर्ष, दृढ़ निश्चय का मूल्य सबको बताना थाकिया वध जिस पापी का लंकापति वह रावण थामुदित जगत ने पर्व मनाया वह विजयादशमी पावन थामर्यादा स्थापित करने प्रभु इस जग मे आए थेमर्यादा पुरुषोत्तम फिर वे जग मे कहलाए थेसंकल्प करें इस पर्व मे अत्याचार मिटाने कानिर्भय औऱ निष्पाप देश अपने भारत को बनाने काहे प्रभु ! रघुनन्दन राम पुनः हम पर कृपा करोकई पीड़ा से जूझ रहे जन मन का फिर कष्ट हरोकवयित्री-मधु तिवारीग्राम-कपसदा,जिला-दुर्ग छत्तीसगढ़
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Madhu JI bahut sundar varnan kiya hai apne ,vijay Dashml ki bahut 2shubh kamnayen apko , Jai Mata Di
thanks kirn ji…………jay mata ki…….
Bahut sundar rachna Madhu ji..Vijaya dashami ki hardik shubhkamnaye…
apko bhi anu ji…..
….thanks
बेहद सुन्दर भावनाएं……बेहद खूसबूरत………..
thank you sharma sir……….
Bahut umdaa rachnaa Madhu ji ……Darshan samete hue ………
thank you sir………………….
बहुत ही बढ़िया…………….. Madhu Jee.
dhnyawad apka… utsahwardhan ke liye……..
बहुत सुंदर वर्णन जी
bhut bhut dhnyawad apka…………….
Bahut khubsurat………………………..
bhut bhut dhnyawad apka….
मधु जी आपने बखूबी राम जी को याद किया। जगत के पालनहार प्रभू श्री राम अपने मर्यादाओं का पालन कर हमें अपनी अनुभूति से अवगत कराये हैं। हमें उसका प्रतिपादन करनी चाहिए।
sukriya sharma ji……………..
बेहद उम्दा सृजन,,,,,,,,,,,,,,,,अति उत्तम !!
sukriya nivatiya ji……………
मधु जी आपकी रचना 25 दिन बाद पढ रहा हूं, फिर भी अच्छी लगी। बहुत सरल सहज सुन्दर शैली में रचित रचना है।
हार्दिक आभार गोपाल जी …………..कविता को पढ़ने औऱ सराहने के लिए…….