सुना है आपके यहाँ गधों के सींग होते हैं।
जानवर तो जानवर, इंसान भी बस्ती रोज बदलते हैं।।
सुना है आपके यहाँ लोग बड़े सुलझे होते हैं।
नाले को नदी समझ मुँह उसमे रोज धोते हैं।।
सुना है आपके यहाँ समझदार बहुत होते हैं।
अंधेरे को रात समझ बड़े बेफिक्र होकर सोते हैं।।
सुना है आपके यहाँ विद्वान बड़े होते हैं।
किताबों का अलाव जला चर्चा वो खूब करते हैं।।
सुना ये भी है आपके यहाँ सर्कस बहुत होते हैं।
जोकर तो जोकर ,लोग भी नक़ाब रोज बदलते हैं।।
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badhiya kataaksh……..
बढ़िया कटाक्ष..
bhut achhe……………………