साये भी अजीब हैं उजाले में हमकदम होते हैंअँधेरे में जब दिखें तो हम खौफजदा होते हैंअंतर्मन के अँधेरे कर्म के सायों से भय खातेउजाले मन के ही सदा सायों से जुदा होते हैं.विजय कुमार सिंहvijaykumarsinghblog.wordpress.com
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वाह्ह्ह्ह……..बेहतरीन….लाजवाब……….कमाल……जय हो….
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
बहुत ही खूब ……………………………… विजय जी !!
आपकी सुन्दर और सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
बहुत अच्छे, मन खुश हो गया।
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद
Waah………
Behtreen………
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
Bahut sundar, Vijay ji…
आपकी सुन्दर और सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
सही कहा आपने…….अति सुंदर ।
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
विजय जी बहुत ही ख़ूबसूरत बात कही है आपने ,,,,,,अति सुन्दर
सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
nice lines ……………………
सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद
क्या पंक्तियाँ लिखी हैं विजय जी. लाजवाब………..
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद