प्यार की मुद्दत से फक़त मुझको तलाश है खाली पड़ी सब झोलियां सूना आकाश है शक्ति जहाँ शिव को ही ना आधार दे सके सृष्टि वहां चलती नहीं और बस विनाश है इक प्यार ही बस संसार में नश्वर नहीं होता इसके बिना इंसा तो बस एक ज़िंदा लाश है बाँध कर जिसमें किसी की जान भी ले लो मुहब्बत तो इस जहान में एक ऐसा पाश है हर हाथ ने जिसका यहाँ उपयोग कर लिया इन सारे पत्तों में बस मधुकर वो ही ताश है शिशिर मधुकर
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Bahut hi Sundar, Shishir ji….
Tahe dil se shukriya Anu …………
सच है हम सभी ताश के पत्तों के सामान ही तो इस्तेमाल हो रहे हैं| बढ़िया और सुन्दर भाव |
Haardik aabhaar Arun Ji …………
Bohot badiya Madhukar ji..
Tahe dil se shukriya Niharika …………….
बहुत ही खूबसूरत……….
Tahe dil se shukriya Babbu Ji ……………………..
भाई शिशिर जी सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई.
Tahe dil se shukriya Salim Bhai ……………………
गूढ़ता के भावो से सजी सुंदर रचनात्मकता ……………….अति सुंदर शिशिर जी
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji ……………
Ati sundar rachna ……..Shishir JI
Bahut bahut shukriya Kiran ji ………
बहुत बढ़िया शिशिर जी।
Tahe dil se shukriya Bindu ji ……….
बहुत ही बढ़िया ………………. खुबसूरत …………….. मधुकर जी !!
Tahe dil se shukriya Sarvjeet ……………