जन्नत राहों में भटक रहा था मैं तुमने मुझे सहारा दे दियामेरी डूबती हुई कश्ती को तुमने किनारा दे दिया मोहब्बत करके जाना मैंने कितनी रोशन है जिंदगीमेरे इस अंधियारे जीवन को तुमने उजियारा दे दिया तुम्हारे आने से पहले दिल में कोई तमन्ना ही नहीं थीतुमने आ कर जिंदगी जीने का तोहफा प्यारा दे दियाहार चुका था मैं तो अपनी ही रूठी हुई किस्मत से तुम्हारी मुस्कुराहट ने जीतने का जोश दोबारा दे दिया तुम हो हमसफ़र तो और कोई ख्वाहिश नहीं सर्वजीत लगता है ख़ुदा ने धरती पर जन्नत का नज़ारा दे दिया सर्वजीत सिंह [email protected]
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bhut khoob rachana likha apne..
………..
बहुत बहुत शुक्रिया …………………. Madhu Jee.
BAHUT KHUBSOORTI KE SAATH ISHE SAJAYA …. ATI SUNDER.
बहुत बहुत आभार आपका………………. बिंदु जी !!
Sarvjit ji ,its Beautiful , prem ras se bharpoor rachna
तहे दिल से शुक्रिया ………………. किरण जी!!
Behad sundar Sarvjeet …….
तहे दिल से शुक्रिया……………….. Madhukar Jee.
behad khoobsoorat…………….
तहे दिल से शुक्रिया ………………… शर्मा जी !!
सुन्दर ..
बहुत बहुत आभार …………………… अरुण जी !!
Bahut Sundar….
बहुत बहुत आभार ………………… अनु जी !!
प्रेम की सुखद अनुभूति का अहसास कराती खुबसूरत रचना अति सुंदर ।
तहे दिल से शुक्रिया ………………………………. Nivatiya Jee.