निहायत ही ख्वाब देखते रह गये ख्यालों में कम्बख्त दिल क्यों उलझ गया मुलाकातों में। हम यूं ही प्यार को मुकम्मल करना चाहते थे क्या पता बिन्दु ही गुम हो जायेगा उजालों में।
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Pyaar mukammal kahan ho paataa hai Bindu Ji?……
मुकम्मल मतलब – पूर्ण – अपने आप में पूरा – अंतिम चरण – परांगत पा लेना।
हमने इसे प्यार के साथ जोड़ा है – प्यार को मुकम्मल करने की कोशिश की है। बहुत बहुत शुक्रिया अगाह करने के लिए।
बहुत खूबसूरत भाव हैं बिंदुजी…..मेरी जानकारी हो सकता अधूरी हो…मुआफी चाहता हूँ…’निहायत’ उर्दू ज़बान में किसी विशेषता को बढ़ाने घटाने में वज़न के लिए इस्तेमाल करते देखा है मैंने जैसे ‘निहायत घटिया किस्म का इंसान है वो…या निहायत खूबसूरत है….निहायत ही गैरज़रूरी है…या निहायत ज़रूरी है…वगैरह वगैरह…..जिसका मतलब ज़रुरत से ज्यादा है जो हमारी समझ में होना था….ख्वाब यहाँ विशेषता नहीं है….नाउन है… ऐसा लिखा जा सकता है मेरे हिसाब से…. “निहायत खूबसूरत ख्वाब देखे ख्यालों में”…. अपनी जानकारी बढ़ाने हेतु मैंने लिखा है…अन्यथा न लें…
हमने निहायत- (बेकार) मतलब बे कार-बिना आकर का, बिन सोचे-समझे जाने एक ऐसे ख्वाब देखे, जिसमें जिन्दगी ही उलझ कर रह गयी। फिर भी प्यार पर फतह पाने की कोशिश की, लेकिन उजालों ने भी हमें नहीं बख्शा। बहुत बहुत शुक्रिया शर्मा जी इस तरह की चर्चा के लिए।
सीधा-सादा इंसान केवल सीधा सोचता है, अपने सिद्धांतों पर कायम रहना हम भी सीख रहे हैं।
पूरे शेर का मतला समझिये, समझ आ जायेगा। हमने तो केवल ख्वाब ही देखे हैं – देखने वाले क्या – क्या नहीं देख लेते – बस चाहिये तो सिर्फ़ पारखी नजर।
बहुत बढ़िया बिंदु जी …………………..वैसे जहा तक मुझे मालूम है “निहायत” शब्द एक क्रिया विशेषण (Adverb) है जिसका अर्थ प्राय जरुरत से ज्यादा या बहुत अधिक के लिए किया जाता है …जैसे ‘निहायत गरीब’ ‘निहायत शरीफ’ आदि आदि !!
बहुत खूब ………….,