बेटा जब,बुलंदियों को छू लेता है तो बाप गर्व से कहता हैदेखो,यह मेरा बेटा है। बेटी जब कूल की इज्जत रखती हुईअपना घर संहाल लेती है तो बाप कहता है,देखो यह मेरी बेटी है। पर माँ ये सब नहीं कहती माँ तो माँ होती है उसका अंश अगर पास में है तो माँ कहती हैयह मेरा स्वर्ग है।
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sahi kaha apne bindeswr ji………………..
Saty kathan. Maa Garvey se door saumyataa ki murty hoti hai.
शर्माजी….आपने बहुत ही बेहद उम्दा कथ्य वर्णन किया है….मेरे हिसाब से माँ इस लिए नहीं कहती क्यूंकि मेरे लिए इश्वर का रूप है वो…इश्वर कभी जतलाता नहीं है कुछ भी उसकी कृपा का आभास होता है… आनंद रोम रोम में होता है….ऐसे ही माँ रोम रोम में विद्यमान है बच्चे के….यह बात हर बच्चा जानता है इसी लिए वो माँ के करीब ज्यादा होता बाप की जगह……
Sundar bhav Sharma JI . Maa ke dil mein Uska ghar hi swarg Horta hai woh usmein hi Ram ke rah jaati hai is I liye kehte hain uske charnon mein swarg nota hai .
Bahut Sundar aur steek vichaar ………………………!!