नींद आँखों से उड़ाकर जगाया है बहुत,चैन दिल से मेरे चुराकर सताया है बहुत,सुनो आशा तुम्हारी याद ने रुलाया है बहुत।अपने नासमझ दिल को समझाया है बहुत,ख़्वाब-ओ-हक़ीक़त में फ़र्क बताया है बहुत,सुनो आशा तुम्हारी याद ने रुलाया है बहुत।सच्चे दिल से सच्चा प्यार निभाया है बहुत,अपनेपन से अपना हक़ जताया है बहुत,सुनो आशा तुम्हारी याद ने रुलाया है बहुत।आँसुओं को अपनी आँखों में छुपाया है बहुत,गुनाह-ए-इश्क़ का जुर्माना चुकाया है बहुत,सुनो आशा तुम्हारी याद ने रुलाया है बहुत।ना हो भूल से भी भूल सिखाया है बहुत,मैंने भी आईना खुद को दिखाया है बहुत,सुनो आशा तुम्हारी याद ने रुलाया है बहुत।
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very nice………………..
Thank you so much sir.
behad khoobsoorat…………….
thanks sir.
bahut sundar…
shukriya mam.
Bahut khub………………………..
dhanyavad.
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
same to you. Shukriya sir.
अति सुन्दर ………………………….!!
धन्यवाद सर।