ग़ज़ल :- आये तो तेरे सिवा कोई न आये ।
गज़लकार :– अनुज तिवारी “इंदवार”
बहर :– 2122—2122—2122
बहरे रमल मुसद्दस सालिम
रदीफ :– कोई न आये
काफ़िया :– आ (दवा ,सिवा ,हवा ,पिया ,रहा ,वफा
दिया , जला ,…..)
मर्ज की लेकर दवा कोई न आये ।
आये गर तेरे सिवा कोई न आये ।
मशवरा देने में माहिर थे मिले जो ,
ज़ख्म पर देने हवा कोई न आये ।
आज हाल-ए-दिल सुनाने जा रहा हूँ ,
भूल से भी अधपिया कोई न आये ।
महफिल-ए-बेजान मैं रोशन करूँगा ,
शर्त है की बेवफा कोई न आये ।
उनके आँसू पे बगावत हो गई ,
मैं वहीँ रोता रहा कोई न आये ।
आँख में होती उजालों से चुभन अब ,सामने लेकर दिया कोई न आये ।जाने दो कोठे पे जाना चाहते जो ,बस वहाँ से मुँह छिपा कोई न आये ।जब अहिंसा आबरू को छेड़ती हो ,फ़िर वहाँ क्यों सिरफिरा कोई न आये ।छोड़ दो तुम ये अयोध्या की सियासत ,जब तलक की फैसला कोई न आये ।हम वफादारी के कायल आज भी हैं ,
द्वार पे वस दुम हिला कोई न आये ।
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
behad khoobsoorat ………………..ek se badhkar ek sher……
ग़ज़ल विधा की मापनी के सौंदर्य से सजी सामाजिक परिवेश के ताने बाने के इर्द गिर्द..भावो को स्पष्ट करती ……. बेहद उम्दा रचनात्मकता का परिचय देती सुन्दर रचना ………………..भाव सम्प्रेषण से लेकर सुर, लय, ताल सब लाजबाब !!
अत्यंत सुंदर रचना………………………….
laajwaab………………..
छोड़ दो तुम ये अयोध्या की सियासत ,
जब तलक की फैसला कोई न आये ।
Anuj Tiawari Ji
वर्तमान में चल रही राजनीति पर करारी टिप्पणी की है
साधुवाद
बहुत अच्छी ग़ज़ल तिवारी जी।