कौआ और गिद्ध
निर्जीव का माँस नोचने वाले
दुर्गंध में जीने वाले एक जैसे,पर दिखने में अलग. देखो गिद्ध और कौआ एक डाल पर बैठे हैं||
शायद योजना है बन रही कि ढूंढे शिकार कहाँ? ताज़ा या बासी इसी उधेड़ बुन में रहते हैं देखो गिद्ध और कौआ एक डाल पर बैठे हैं||
शायद लालच देकर गोश्त का चाहता काम निकलवाना है तभी ,देखो ! गिद्ध और कौआ एक डाल पर बैठे हैं||
एक दिन उस विशाल को
मिला एक अलबेला पंछी छुटकु सा
फूलों से रस निकालता
सुंदर कमर मटकाता सा
हैरान हो गिद्ध ने पूछा, यह है कौन?
यही बतियाते ,गिद्ध और कौआ एक डाल पर बैठे हैं ||
शिकार उसका करना चाहा
शायद शहद से भरा हो यह
जा लेकर आ ! किसी बहाने
यही राह बनाते ,गिद्ध और कौआ एक डाल पर बैठे हैं||
मध्यम ने कहा ,आका !
वो तो है मासूम सा हम्मिंग पंछी
सुई चोंच तो देखो
कहीं हमारा रस न बिखर जाए
छोड़ो इसे ,यही समझाते
कौआ और गिद्ध एक डाल पर बैठे हैं||
अहंकारी न माना
और विशाल पंखों के नीचे
छुपा लाया||
लहू ही लहू था ,गिर रहा
कामयाब है गिद्ध ,इस कौओं_ गिद्धों की दुनिया में ,
तभी बहुत शोर से कुछ भारी गिरा थपाक !! से, तभी छुटकु सा नन्हीं धड़कन संभाले लगा फिर फूल रस ढूंढने
अब अकेला कौआ एक डाल पर बैठा है ||
मुक् ता शर्मा
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behad khoobsoorat bhaavon ka prakshepan hai….pa aap rachna ko thoda align karke likhti or sundar hota……..padhne mein asaani hoti….
धन्यवाद babucm जी !!!अगली कविता में ध्यान रखूंगी।
आपको कष्ट हुआ ।इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ ।
Behad sundar rachnaa Mukta. Aapne sahi kaha Kauon or Giddhon kee is jugal bandi ko todnaa hoga. Tulnaae bahut vaastvik hain. Durbhaagyavash Kauon or Giddhon kee hee aak sab baat karte hain kyonki ham bheed tantr me rahte hain ………….
बहुत – बहुत धन्यवाद शिशिर मधुकर जी
Bahtu Khubsurat ……………Mujhe aapki rachna me vartmaan sandrabh me KATAKSH chupa najar aataa hai……………….!!
धन्यवाद डी के निवातिया जी
यह कटाक्ष आज के नेतागण पर है
आम आदमी तो छोटे से पंछी के समान है
कविता और कवि की दुनिया उम्मीद भी ढूंढ़ती नजर आती है
bhut achha………………
धन्यवाद मधु तिवारी जी
बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती सुन्दर रचना ,आपको नमन
कभी इधर भी पधारें
धन्यवाद मदन मोहन सक्सेना जी
Bahut sundar