कब से सोये हो कब तक सोयेगा अरे, अब तो जागोसवेरा तेरा इंतज़ार कर रहा। नींद में कब तक रहोगे खोये खोये कब तक ढहोगेक्या कर्म तुझे याद नहीं आगे बढ़, मंजिल तुझे पुकार रही। जिंदगी खराब क्यों कर रहे पानी को शाराब क्यों कर रहे जीवन विषाक्त मत होने दोअहंकार क्यों तुझे घिक्कार रहा। कुछ करने की मन में ठानोदुनिया क्या है इसको जानोआलस को अब दूर भगा दोतेरा नसीब ,तुझे ललकार रहा।
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प्रेरणात्मक भाव से परिपूर्ण सजगता का सन्देश देती अच्छी रचना !!
प्रेरणा देते खूबसुरत भाव
karm ki pardhaanta so sthapit karti……..ati sundar……..
बहुत सुन्दर रचना शर्मा जी
Bahut sunder……………………..
very motivational…………..
बहुत सुन्दर रचना ……………….
Khubsurat rachana,,,