कवि: शिवदत्त श्रोत्रिय
मंदिर में काटों ने अपनी जगह बना लीवक़्त आ गया है फूलो के इम्तिहान का ||सूरत बदलने की कल वो बात करता थालापता है पता आज उसके मकान का ||निगाह उठी आज तो महसूस करता हूँलाल सा दिखने लगा रंग आसमान का ||लुटेरों की हुक़ूमत जहाजों पर हो गयीअंदाजा किसे है दरिया के नुकसान का ||आइना कहाँ दुनियाँ की नजर में “शिव”अपने ही सबूत मांगते तेरी पहचान का ||
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
बहुत खूबसूरत…………..वर्तमान परिपेक्ष्य पर कटाक्ष करती अच्छी रचना !
आभार आपका ………….
ati sundar……………..
aabhar……
Bahut sunder…………………
aabhar vijay g
बहुत ही गजब लिखा आपने……………….
aabhar madhu ji