हम याद रहें न रहें हमारी हर बात याद रहेगी यक़ीन मानो हमारा ,अपनी हर मुलाक़ात याद रहेगी ,जब करके दुनिया को नज़रंदाज़ मिलने पहुँची थी तुमसे करके श्रृंगार,वो माथे की बिंदियाँ ,वो हाथों की चूड़ियाँ याद रहेगी ,हम याद रहें न रहें हमारी हर बात याद रहेगी ,,,,,,,,वो चाँदनी रात और तुम्हारे हाथों में मेरा हाथ ,वो तेरे क़दमों के साथ बढ़ते मेरे कदम ,वो मंदिर की घंटियाँ और मंदिर की सीढ़ियाँ याद रहेगी ,हम याद रहें न रहें हमारी हर बात याद रहेगी ,,,,,,,,वो चेहरे की सादगी ,वो आँखों की हया,वो सर पर दुपट्टा ,और लबों पर दुआ वो अपने प्यार से सजी क़ायनात याद रहेगी ,वो बात याद रहेगी, वो रात याद रहेगीहम रहें न रहें हमारी हर याद ,याद रहेगी ,,,,,,,मिले थे कभी ,साथ चले थे कभी मंज़िल थी एक ,एक ही था सफ़रबदल गई है अब राहें ,मंज़िलें भी है अलग ,अलग -अलग राहों पर भी दिल की फ़रियाद याद रहेगी,हम रहें न रहें ,हमारी हर बात याद रहेगी ,,,,,,।।सीमा “अपराजिता “
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behad bhaavuk sundar prem or dard bhari rachnaa seema………..
अति सुंदर ……………!
behad khoobsurat rachana seema ji…….
..ras rchaye…bhi padhe…
ati sundar……………….
बहुत ही सुंदर कृति सीमा जी।
भावुकता से परिपूर्ण कविता ,अति सुन्दर
बहुत सुंदर कविता.
lagta hai sokar aap jag gai hain……