एक ख्याल
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अक्सर मेरे घर आने से कतराने लगे हैमेरे अपने चाहने वाले लोग क्योकि झुकना उनकी शान के खिलाफ है इधर मेरे घर की चौखट छोटी ठहरी !!
डी के निवातिया
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bhut hi sundar nivatiya sir ……….gajab……
अमूल्य प्रतिक्रिया देकर रचना का मान बढ़ाने के लिये ह्रदयतल से धन्यवाद आपका ……….MADHU JI.
Achcha hai………
अमूल्य प्रतिक्रिया देकर रचना का मान बढ़ाने के लिये ह्रदयतल से धन्यवाद आपका ……….SHISHIR JI.
आपका ख्याल बिलकुल सही है……. दम्भी…पाखंडी को सर झुकाना कहाँ आता…..रिश्तों की बुनियाद टूटने की निशानी है यह रचना…..कटाक्ष लिए हुए आज की हमारी सोच पे…..
अमूल्य प्रतिक्रिया देकर रचना का मान बढ़ाने के लिये ह्रदयतल से धन्यवाद आपका ……….BABBU JI.
vah vah sir bahut hi sunder
अमूल्य प्रतिक्रिया देकर रचना का मान बढ़ाने के लिये ह्रदयतल से धन्यवाद आपका ……….NAVAL PAL
bahut khub Nivitiya Sahab
अमूल्य प्रतिक्रिया देकर रचना का मान बढ़ाने के लिये ह्रदयतल से धन्यवाद आपका ……….RAJEEV JI.
Bahut sundar,Nivatiya ji…
अमूल्य प्रतिक्रिया देकर रचना का मान बढ़ाने के लिये ह्रदयतल से धन्यवाद आपका ……….ANU JI.
Bahut khub.
अमूल्य प्रतिक्रिया देकर रचना का मान बढ़ाने के लिये ह्रदयतल से धन्यवाद आपका ……….VIJAY JI.
बहुत गहराई वाली बात कही है आपने रचना के माध्यम से ……,
अमूल्य प्रतिक्रिया देकर रचना का मान बढ़ाने के लिये ह्रदयतल से धन्यवाद आपका ………. MEENA JI.