माँ है वो मेरी।
मुझको जग में लाने वाली ममतामयी है माँ मेरी।कैसे करू मै उसकी सेवा ये समझ आता नहीं।अपने ममता के स्पर्श से जिसने किया मुझे बहुत लाड।याद आती है उसकी जब नहीं रहती वो मेरे साथ॥
किया बचपन में हम दोनों ने खूब सारी मस्ती।घूमती थी मुझे लेकर कभी शहर तो कभी बस्ती।ऐसे मस्त समय के बाद फिर कभी न वो समय आया।जब हम दोनों ने एक दूसरे के साथ बहुत सारा वक्त बिताया।
बढ़ा हुआ तो समझदारी और जिम्मेदारी का बंधन छाया।उम्र के बढ़ते बढ़ते मैंने माँ का अनेक दर्शन पाया।हालात और समय ने माँ को क्या से क्या बनाया।कभी काली तो कभी दुर्गा तो कभी करुणामयी रूप का दर्शन करवाया॥
क्लेश सागर से प्रेमसागर तक मुझे तैरना सिखालाया।खुद डूब गयी थी उसमें ये अनुभव मुझे अपना बताया।मैंने अश्रु को पोंछते हुए ये अनुभव उससे पाया।न जाने कैसी धैर्य की नौका से उसने अपने आप को इस क्लेश से बचाया॥
जीवन के अधिकांश भाग में उसने कष्ट ही पाया।फिर इस कष्ट को नष्ट कैसे करना है ये मार्ग उसने बतलाया।मेरे जीवन की जननी है वो इस बात का सौभाग्य मैंने पाया।माँ है वो मेरी, प्रेरणा स्रोत है वो तभी तो प्रेरणा की ज्योत जलाना सिख पाया॥
वैसे माँ से प्रेम प्रदर्शित करने के लिए कोई दिन, कोई समय काफी नही है क्योंकि माँ का प्यार हमसे हमेशा ज्यादा ही रहेगा लेकिन ये एक रचना है जिससे मै माँ के प्रति अपनी भावनाओ को व्यक्त करके उनको कुछ पल के लिए खुश कर सकू।
इस कविता को बनाने के लिए प्रेरित करने वाली प्रेरणा स्रोत को बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार।
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मम्तत्व के प्रति अति सुंदर भावभिव्यक्ति ..शाराश सागर…………….बस इतना समझ लीजिये माँ की स्तुति में जो भी किया जाए, जितना भी किया जाये सदैव अपूर्ण रहता है …………..!!
सच कहा जी
माँ की स्तुति में….हर भाव…हर शब्द बहुत ही छोटा है…. आपने बहुत प्यारे …श्रद्धा से परिपूर्ण भाव प्रकट किये हैं…. भगवान् आपके सर पे हमेशा माँ बाप का हाथ रखे और आप हमेशा अपने माँ बाप के कृतज्ञ रहे और उनका सम्मान बरकरार रखेंगे ऐसा विश्वास करता हूँ….जय हो….
पर ये भी सच है कि गुरु और सब कुछ होने के साथ कई ऐसे अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने प्रताड़ित किया है जिसके फलस्वरूप इतना गहरा सोच पाता हूँ और लिख पाता हूँ
बहुत सुंदर भाव दर्शाया है आपने…………..
आभार आपका
क्या आप बता सकती है कि सम्पूर्ण सही है य संपूर्ण सही है ?? किसीने पूछा है तो मै बता पाने में असक्षम हो गया !! आप शिक्षिका है इसी आशा से ये सवाल कर रहा हूँ ! कृपया बताने की कृपा करे ! क्योंकि जहाँ तक मुझे मालूम है संपूर्ण अब प्रचलित है सम्पूर्ण नही !! क्या ये दोनों का अर्थ एक ही है य अलग अलग है और वर्तमान में कौन सा इनमे से प्रचलित है ये बताने की कृपा करे !
Bhaavnaatmak rachnaa ……..
बहुत सुंदर.