आज लिखी मेरी नयी रचना जिसे लिखते समय मैं अपने आंसुओ को बहने से ना रोक पाया शीर्षक–माँ की बेटीमाँओ मेरी माँसुनो ना मुझेमहसूस करो ना मुझेमैं तेरी उदर में हूँ समाहितमैं जानती हूँतुम नहीं चाह सकती मेरा अहितमुझे अपने गोद में आ जाने दो नामाँ मेरी प्यारी माँखिल जाने दो ना अपने बाग मेंथाम लो ना मेरी उँगलियाँमुझे दुलारों ना पुचकारो नामुझे पढ़ लेने दो ना थोडा मचलने दो ना मुझे मुस्कराने दो ना माँओं माँ — मेरी प्यारी माँक्योँ डरती हो माँमुझे जन्म देने सेक्यों डरती हो मेरे होने सेमाँ — ओं माँमैं तेरे सपनो को जिउंगीतेरे पंखो से परवाज करुँगीतेरा बचपन तुम्हे दिखाउंगीतुम्हारा योवन मैं बन जाउंगीमाँ— ओं माँ मेरी प्यारी माँतुम क्यों डरती ज़माने सेतुम क्यों डरती मुझे अपनाने सेजैसे तुम आईमुझे भी आने दो नामेरा परिचय करवाओ नामाँ —ओ माँमेरी प्यारी माँतुम हार गयी माँअपने कोख में मुझेतुम मार गयी माँतुम क्यों नहीं लड़ी माँमुझे आने देती माँमुझे जीने देती माँमुझे बनने तो देतीमेरी बेटी की माँमुझे बनने तो देतीअपने माँ की बेटी——-अभिषेक राजहंस
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
behad khubsurati ke sath abhivyakt kiya hai aapne
uttam rachna.. mujhe “Kya kahna” movie ki prity zinta dwara di gayi speech yaad aa gay..ye usi ka kavyatmak roop pratit hua mujhe..
Dhanyawaad
Par क्षमा चाहूँगा
ये मूवी मैंने नहीं देखी
धन्यवाद
क्षमा चाहूँगा मैने ये मूवी नहीं देखी
Very nice….
Very nice………………..
behad bhaavuk……yatharth………….
Lovely poem …………..!