भाग -1दस बच्चों का खेल-खेल मेंएक बनाया गोलासोनू ने चिल्ला-चिल्ला करसब बच्चों से यूं बोला-‘चलो छोटू, चलो मोटूचलो मंटू, चलो संटूचलो चिंटू, चलो मिंटूचलो टुन्ना, चलो टुन्नीचलो मुन्ना, चलो मुन्नीचलो,छोटे- छोटे पौधे लेनेहम मार्केट में जाते हैंचलो मिल-जुल करहम सब बच्चेएक बाग़ लगाते हैं।’छोटू से टुन्नी तक एक साथ बोले-‘बड़े-बड़े खेत अब कहाँ हैं?हम बाग़ कहाँ पर लगाएंगे?बोलो सोनू,हम जमीन कहाँ पर पाएंगे?’सोनू सोच में पड़ गया, फिर मुन्ना बोला-‘चलो टेरेस पर ही सहीचलो, रूफ पर ही सहीएक खेत बनाते हैंएक छोटा ही सहीचलो मिल-जुल करहम सब बच्चेएक बाग़ लगाते हैं।’मुन्नी:’चलो, मम्मी-पापा के संगनर्सरी में हम जाते हैंचलो कुछ बीज लाते हैंचलो कुछ सीडलिंग्स लाते हैंचलो कुछ कम्पोस्ट बनाते हैंचलो मिल-जुल करहम सब बच्चेएक बाग़ लगाते हैं।’सभी बच्चे:’चलो मम्मी-पापा कोहम अपना प्लान बताते हैंचलो टेरेस पर ही सहीचलो रूफ पर ही सहीएक छोटा ही सहीचलो मिल-जुल करहम सब बच्चेएक बाग़ लगाते हैं।’**** *****(चंद महीनों के बाद):सभी बच्चों के बालकनी मेंसभी बच्चों के छतों परछोटे-छोटे गमले लगे हुए हैंकिसी के बालकनी पर, बोतलों मेंकिसी के छत पर टोकरियों मेंहरे-भरे, रंग-बिरंगे फूल टंगे हुए हैं।किसी के छत परफूलों के टावर बने हुए हैंकिसी के छत परआम, अनार, नीबूकटहल, पपीता, चीकूके बोनसाई सजे हुए हैं।कुछ बच्चों के छत परअब हाईड्रोपोनिक्स, एक्वापोनिक्स,एरोपोनिक्स विधियों से उपज रहीबिना मृदा के हीतरह-तरह की सब्जियांभी लहरा रही हैंजो मन को बहुत भा रही हैं।**** *****(कुछ साल बाद):अब छुट्टियों मेंबच्चे दूर के, पार्क में नहीं जाते हैंएक दूसरे के बालकनी पर, छतों परघूम-घूम कर पिकनिक मनाते हैंखूब मस्ती करते हैं, खूब धूम मचाते हैंपौधों को, फूलों को वे खूब निहारते हैंनन्हें-नन्हें हाथों से उनको सहलाते हैं।***** ****** **** ****** ****** **** *****भाग-2सभीइंसानों के बाबा, आदमपहले जन्नत, यानी किबाग़ में ही रहा करते थेवे जन्नत को कभीछोड़ना नहीं चाहते थे-वे कैसे छोड़ सकते थे?****तब से गुजरता रहाएक ज़माने से दूसराफिर ज़माने पर ज़माना;गार्डेन का आदमी से रिश्ताआदमी का गार्डेन से रिश्ताबहुत क़दीम है, यानी है बहुत पुराना।बाबा आदम के ज़माने सेहेरेडेट्री तौर परलोगों में बग़ीचे से लगाव हैयानी कि अनुवांशिक तौर परलोगों का बग़ीचे से जुड़ाव है।लोगों में एक ललक हैइसीलिए वे बाग़ लगाते हैंलौटने का मन नहीं करता है-जब बाग़ मेंएक बार वे चले जाते हैं।…र.अ. bsnl
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खुबसुरत भाव ………….
सिमटती प्राकृतिक सम्पदा के अभाव में उनका संरक्षण कर जीवन तत्वों कि पूर्ति करने का उपाय सुझाने के साथ साथ उनके प्रति सचेत करती खुबसुरत सोच !……………………..अति सुन्दर !
सुंदर भावों में रचित रचना.
bhut hi khoobsurati se likha hai apne raquimali ji…………
प्रकृति की महत्ता दर्शाती उम्दा रचना.
aane waale kal ki tasveer……or importance plantation ki…..bahut hi khoobsoorati se darsahaaya….
Bahut sundar Rachna aapki…
Shashikant ji
Nivatiya ji
Vijay Kumar ji
Madhu ji
Shishir ji
Babbu ji
aur Anu ji
aap sabhi guni jan ka
mera tah-e dil se aabhar aur shukriya.
Now, Edited Text is available pl.