शीर्षक आज भी जिंदा हैमेरे दिल के दरवाजे पर तुम्हारा दस्तक आज भी जिंदा हैमेरे चाहत की किताब के पन्नेआज भी अधखुले हैतुम्हारे इंतज़ार मेंना मैं आगे बढ़ा ना वक़्त आगे बढ़ाअतीत के उन पन्नो को जब भी दुबारा खोलता हूँजब भी उन लम्हों को दुबाराजीने की कोशिश करता हूँतेरे जिस्म की छुवन याद आते हैंतेरी शरमाई आँखे याद आती हैचंद लम्हे जो तेरे संग बितायेवो याद आते हैमेरे बिछावन की सिलवटेआज भी जिंदा हैमेरे दरवाजे का डोरमेट आज भी जिंदा हैतुम्हे सजाने वाला आईनाआज भी तुम्हारे अक्स केइंतज़ार में जिंदा हैतेरे आँखों में समाने वाला काजल आज भी जिंदा हैतेरे चाँद में चाहे जितने भी दाग हैपर उसकी चांदनी आज भी जिंदा हैचंद सांसे रब से उधार ले करआज फिर तुमसे कहता हूँऐ चाँद तू मुझमेआज भी जिंदा है——- अभिषेक राजहंस
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Ati sundar or bhaavnaaon se sarabor…..
Dhanyawad sir
bhut achha ………..abhishek ji………..
Sundar rachna ,,
sundar……………..
very nice…………!
beauliful lines Abhishek ji
बहुत सुंदर…………..
बहुत ही सुंदर रचना……………!!