Homeतरुण भटनागरचिंदियां चिंदियां विनय कुमार तरुण भटनागर 27/03/2012 No Comments जिस पर सूख रहे हैं- चीथड़े ़ ़ ़। बरसों बाद, जो चिंिदयां रही हैं, उन्हें, धोकर, सुखाकर, प्रेसकर ़ ़ ़ पहरने का, एक सुकून है। हां, एक झिझक भी है, लोग क्या सोचते होंगे, बिना छुपी नग्नता देखकर ़ ़ ़। Tweet Pin It Related Posts सूरज के साथ साथ साथ पहला मानसून ठंड का कारण About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.