उन गीतों को तुम सुर तो दे दो जो रुँधे कंठ में मूक पड़े होंउन गीतों को तुम सुर तो दे दो। जो उलझे वीणा तारों मेंगुमसुम गुमसुम सिसक रहे होंजो आँसू के अंदर छिपकरअपनी कुछ पहचान रखे हों इन आँसू के दुखमय गीतों कोकुछ अपनी पलकों में रचने दो।जो रुँधे कंठ में मूक पड़े होंउन गीतों को तुम सुर तो दे दो। ममता की प्यारी गोदी मेंजो जो मेरे अश्क बहे होंचूम चूम गीले गालों कोमाँ के आँसू उमड़ पड़े हों उस आँचल के कुछ आँसू मोतीमेरे इन गीतों को चुनने दो।जो रुँधे कंठ में मूक पड़े होंउन गीतों को तुम सुर तो दे दो। मस्त हवा के झोंके हल्केशबनम छूकर महक रहे होंडाल डाल अंगडाई भरकरतिनके तिनके उड़े चले हों जिन पंखुड़ियों पर ओस जमीं होकाँटों को उनपर कुछ लिखने दो।जो रुँधे कंठ में मूक पड़े होंउन गीतों को तुम सुर तो दे दो। जो सपनों की नमपलकों मेंआँसु बनकर टूट गये होंऔर नयन भी नींद चुराकरअपनी पलकों झिझक रहे हों कंठित उन भावों को चुन चुनकरकुछ कंपित सुर में ही लिखने दो।जो रुँधे कंठ में मूक पड़े होंउन गीतों को तुम सुर तो दे दो। गर्म सुनहरी रेत के ऊपरमिटने के हर चिन्ह बने होंगर्जन करती लहरों के कुछखामोशी के चिन्ह बने हों उस खामोशी की गुँज के भीतरकुछ आवाज हृदय की उठने दो।जो रुँधे कंठ में मूक पड़े होंउन गीतों को तुम सुर तो दे दो। …. भूपेन्द्र कुमार दवे 00000
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बहुत सुन्दर गीत लिखा आपने दवे जी………………..
मेरी रचना …दोहे…..पढ़कर अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया दें।
I have read your rachana and liked it giving some hints. I hope you will like them.
बहुत सुन्दर भावुकता से भरी हुई रचना..
Many thanks for your good words.
हमेशा की तरह बेहद खूबसूरत…….बहुत बढ़िया लिखते हैं आप…..अपनी कुछ पहचान रखे हों कि जगह अपनी पहचान समेटे हों…जो जो अश्क़ बहे की जगह जो भी अश्क़ बहे कैसा लगता लय में…….
अच्छा लगा कि आप कविता पढ़ते समय गहराई में उतर जाते हैं। ‘कुछ पहचान’ का प्रयोग इसलिये किया ताकि चयनकर्ता ‘पूर्ण पहचान’ पाने की झमेले में पड़कर विलंब न करे और कुछ कीमती पहचान लिये अश्कों को विस्मृत कर बैठे।
इसी तरह ‘जो जो अश्क’ का प्रयोग इसलिये हो गया है क्योंकि आगे ‘चुनने’ की प्रक्रिया का उल्लेख है, साथ ही ‘मेरे अश्क’ पर विशष जोर देना जरूरी था। मेरे ख्याल से ‘भी’ के प्रयोग से ‘मेरे अश्क’ का महत्व कम होता प्रतीत होने लगता है।
Bhupendra ji Behtreen rachnaa hai bas mujhe rachnaa padhne samay “उन गीतों को तुम सुर तो दे दो ” me ‘to ‘ kaa prayog anavashyak lag raha hai jisse gaya me bhi atkaan mahsoos hui . Gaur keejiyegaa.
‘तो’ का प्रयोग आग्रह के लिये किया गया है। It means ‘if you can not do anything at least give voice to my song’.
Fine. You have a point.
Thanks.
बहोत खुबसुरत रचना
Thanks for the good words.
बहुत ही खूबसूरत रचना………. भूपेंद्र जी…..