???????????? गजल ????????????मेरी मोहब्बत को तुम सार दे गएजिसकी कमी थी मुझको वो प्यार दे गएनैनों में जो राज अब तक छुपे थेदेकर मोहब्बत वो इनको पार कर गएतेरी ही यादें ही याद रहती मुझकोजैसे महकता कोई गुलजार दे गएबंदिशें जमाने की सारी हमने जीती थीछीन के दिल को वो हमको हार दे गएमेरे गीत गजलों को ऐसा रूप दे गएछेड़ी ऐसी धुन कि बस बेकरारी दे गएकवि – मनुराज वार्ष्णेय
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
Manuraj ji. bahut sundarta se likha hai apne , mere khyal se last line ko agar aap Thoda change kar den to ziada rime Karega ( छेड़ी एसी धुन कि दिले बेक़रार दे गए ) agar aapko theek lage to
धन्यवाद मनुराज वार्ष्णेय जी बहुत सुंदर !
श्रीमान जी आपने तो दिल को वह प्यार दे गए , खूबसूरत दुनिया हो बहार दे गए | जल रहां ज़माना, खुशकिस्मत दिलदार दे गए |
बहुत सुन्दर…..पर ग़ज़ल नहीं बनती….काफिया नहीं मिलता….मैडम किरण कपूर जी का सुझाव बहुत बढ़िया है…काफिया भी बनता उसमें…..
रचना की भाव अभिव्यक्ति खूबसूरत है ………….ग़ज़ल के मापदंडो पर उचित नहीं है !!
bhut khoobsurat rachana…………………..