संविधान निर्माताजय हे ! संविधान निर्माताजय हे ! संविधान निर्माता जग जीवन के हो सुख दातारत्न अमूल्य हो सकल धरा केतुमसे ही ये गुलशन महके*जन जन कितना सुख है पाता*जय हे ! संविधान निर्माता भारतरत्न सुयत्न से अपने जग को दिखाये सुंदर सपने तेरा सुयश सकल जन गाता जय हे ! संविधान निर्माता कर्दम से बाहर तुम निकले बढ़ते कदम नही है फिसले*सबल निबल से जोड़े नाता* जय हे ! संविधान निर्माता शिक्षा से सिंचित ये चमन है तव गुण से ये सजा वतन है *सुकर्म तेरा सबको भाता*जय हे ! संविधान निर्माता युग पददलित ज्वलित कुंठा से सजा दिया निज उत्कंठा से विधि सम्मत सब जीता खाताजय हे ! संविधान निर्माता वर्तमान भविष्य भूत हो प्रतीची प्राची के सपूत हो कीर्ति ध्वजा नभ में लहराता जय हे ! संविधान निर्माता वक्ता हो अधिवक्ता हो तुम वृहद समाज प्रवक्ता हो तुम जन गन मन ये शीश झुकाताजय हे ! संविधान निर्माता डॉ. छोटेलाल सिंह ( प्रवक्ता )
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अति सुन्दर भावाव्यक्ति………
Bahut sundar bhav hain aapke ……..
Bahut sundar bhav…
बहुत ही सुंदर……………
अति सुन्दर रचनात्मकता के साथ …..बुद्धिजीवियों को समर्पित सुंदर शब्द पुष्पांजलि ……..!
इसे विडंबना ही कहा जाए कि जो ज्ञान और महानता कि सूचक भारतीय धरोहर है उसे सम्पूर्ण विश्व समेटने कर अपनाने में लगा है और हम उसके प्रति उदासीन है …तुच्छ विचारशीलता के बंधनो में इस जटिलता से बंधे है कि वास्तविकता को या तो जानना नहीं चाहते या जानते हुए भी उसे मानने का साहस नहीं जुटा पाते !
इसी विषय से संबंधित मेरी एक रचना शीर्षक “संविधान” ही भारत का महाग्रंथ बन जाएगा… !! पर आपके विचार अपेक्षित है
behad khoobsoorat………..
sundar kavita
Very nice doctor saheb