सात फेरों की सात वचन वाह रे शादी वाह रे करम। प्रभू जी की यह माया कैसीकलियुग की साया तिनतैसी। माँ बाप को छोडा पहले दिल भी उनका तोड़ा पहले। परिवार अलग कराया दूजाकैसी करिश्मा कैसी अजूबा। शाली और ससुराल है तीजा बिन बरसात ऐसे में भीजा। मानो बात बीबी का चौथा जैसे राज करे इकलौता। चूल्हा चाकी मर्द का पचमाउम्र से पहले आ गयी चश्मा। कोल्हूवाली हाल है छट्ठागीदड़ बना शेर ये पट्ठा। धर्म कर्म से रूठा सात कैसे करें पापों का नाश।
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अच्छा व्यंग……..
बहुत बहुत धन्यवाद
Ghar 2 ki kahani I hai shayad .aham ki bhavna hi bahut pareshan karti hai
तहे दिल सुक्रिया
वाह….क्या अंदाज़ है कटाक्ष का सात फेरों में….बेहद उम्दा………
उत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
Nice sarcasm…
बहुत बहुत सुक्रिया अनु जी
बहुत खूब ……., सुन्दर व्यंगात्मक रचना बिन्दु जी .
दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मीना जी
बहुत बढ़िया बिंदु जी………….. कटाक्ष कि अच्छी शैली में प्रस्तुति …!!!
ह्दय से आभार निवतिया जी
बहुत ही सुंदर……… लाजवाब…..
काजल जी बहुत बहुत शुक्रिया
bahut hi sundar
किस्कू जी तहे दिल आभार
sundar vyang rachana……………..
बहुत बहुत शुक्रिया मधु जी पसंद करने के लिए…