काव्य रो रहा है
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साहित्य में रस छंद अलंकारो का कलात्मक सौंदर्य अब खो रहा है।काव्य गोष्ठीयो में कविताओं की जगह जुमलो का पाठ हो रहा है ।हास्य के साथ व्यंग की परिभाषा अब इस कदर बदल गयी है ।हंस रहे है कवी स्रोता सभी नये सृजन के अभाव में काव्य रो रहा है ।।
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डी के निवातिया
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Bada sahi kataaksh kiyaa hai aapne Nivatiya Ji ……….
सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया आपका ………….!SHISHRI Ji.
सौ फीसदी सत्य कथन sir …………………….
सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया आपका ………….MADHU JI.
aajkal yahi vastvikta ban chuki hai.
सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया आपका ………….SHIVDUTT
bilkul satya wachan
सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया आपका ………….RAQUIM BHAI
आज के दौर में और कवि सम्मेलनों में जुमले बाज़ी इस तरह से बढ़ रही है, जिससे काव्य की सुंदरता घटती नज़र आ रही है… बहुत सही फार्मया.. आपने…
सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया आपका ………….BINDU JI.
सौफीसदी सत्य कथन…..पर उत्तरदायित्व तो सब का है…. जब ऐसे आयोजन हों और विरोध का स्वर मंच पे बैठे किसी साहित्यक मन से नहीं उठता है तो स्वाभाविक है बरसाती कविओं का बोलबाला होना…. बहुत ही सही…सटीक…कटाक्ष ही नहीं है ये रचना….मन मो उद्वेलित करती है सोचने पर….आईना है सब के लिए…..बेहद उम्दा………
काश सब लोगो की विचारशीलता आप ही की तरह इस और बढे ………………..सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया आपका ………….BABBU JI.
बहुत सही कहा आपने .काव्य की गरिमा का ख्याल रखना भी अनिवार्य है वास्तव में यह जिम्मेदारी साहित्यकारों की ही है जिसका निर्वहन करने में उपेक्षा की जाती है .
इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहा जाये की इस पर विचार करना तो दूर ऐसी रचनाओं को……….कुछ चुनिंदा लोगो के अतिरिक्त कोई पढ़ना तक पसंद नहीं करता …उदहारण हम सब के समक्ष है . सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया आपका ………….MEENA JI.
बहुत सूंदर रचना.
सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया आपका ………….!