शीर्षक- तेरा मेरा साथ बीतता जीवन तेरे संग तुझसे है मेरे जीवन में रंगयाद आ रहाआज अरसे बादवो मुलाकातों का दौरनज़रे छुपाती जिया चुरातीआती थी मेरे संगभरने मेरे जीवन में रंगवो भी क्या पल थेतुम मेरी साँसों में हर पल थीसिर्फ तुम थी और मैं थासाथ में बगीचे का कोनाजहाँ हमें था छुपे-छुपाये मिलनातुम्हे याद है नाजब हो गयी तेरी मेरी सगाईतुम कितनी थी शरमाईमैं भी खुश थातुम्हे अपनी ज़िन्दगी मान करतुम्हे अपनी सांसो की रखवाली देकरबीतते वक़्त के संग बीत रही ज़िन्दगीउन जादुई लम्हों को आज भी याद करता हूँवक़्त के थपेड़ो के संग बहते-बहतेना मुझे कभी तुम्हे निहारने का वक़्त रहाना तुम्हे मेरे होने का इल्म रहामैं ऑफिस के कामो में उलझा रहातुम भी घर सँभालने में उलझी रही हर शनिवार तुम्हे घुमाना चाहता तेरे संग बैठना चाहता तेरे संग बतियाना चाहतापर मन मसोस कर रह जाताकुछ बढती उम्र का असर थाकुछ बढ़ते बच्चो का फिकर थापर मैं खुश था कीतुम मेरे साथ कल भी थीआज भी होऔर कल भी रहोगीचाहे टूट जाए मेरी साँसेपर ना टूटेतेरा–मेरा साथहाथो में हो तेरा हाथ—-अभिषेक राजहंस
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साथी का मतलब ही यही है…हर परिसिथति को समझना और साथ देना….बेहद खूबसूरत……….
Dhanyawad cm jee
अति सुंदर ……….!!
Very nice..