शीर्षक-जब से तुम्हे देखाजब से तुम्हे देखादिल का परिंदा हवाबाज हुआधक्-धक् सा आवाज हुआदिल के कागज पेतेरा- मेरा हिसाब हुआजब से तुम्हे देखा चाहतो के समन्दर परतेरे हुस्न की लहरों का राज हुआआँखों का नींद से किनारा हुआतकियों से दिल को सहारा हुआकुछ मेरे साथ हुआकुछ तेरे साथ हुआबीतते लम्हों के संग बेचैन हुआतुझे खोने का डर हुआजब से तुम्हे देखादिल में तेरा नाम रहाजुबान कहने से नाकाम रहाआँखों को तुम्हे देखने के सिवाना कोई काम रहाजब से तुम्हे देखादिल बेचारा खुद को पहचानने से अनजान रहा–अभिषेक राजहंस
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very nice………..!
शानदार प्रस्तुति ।
nice
tankan galiyan hain kahin kahin…….achhe bhaavon se yukt………..
खूबसूरत भाव…..
Bahut sundar bhav