आखिर क्यूँ तुम मुझको तलाशते रहते हो…….बदहवास से इधर उधर भटकते रहते हो…..जीए होते निस्वार्थ प्यार में तुम एक पल भी….कह उठते खुद कि तुम मेरे साथ रहते हो….पाना न पाना ज़िन्दगी में चलता रहता है…गम का तो कभी ख़ुशी का दौर रहता है…जो तटस्थ है हर मौसम में मेरी तरह से…कहाँ उसको जहां में कोई मार सकता है…..हर रूह में रहता हूँ हर आँख से दीखता हूँ मैं….हर शै में तस्वीर बन पल पल उभरता हूँ मैं….फिर भी तुम देख नहीं पाते हो मुझे स्वार्थवश…अंतर्मन में देख तेरी ही तो प्रतीक्षा में खड़ा हूँ मैं…\/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)
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Babbu ji prem v shaanti ki praapti ke liye antarman kee khoj karne kee prernaa deti khoobsoorat rachnaa.
तहदिल आभार आपका……Madhukarji…..
khoobsoorat rachna hai babbu sir
तहदिल आभार आपका…….Anjaliji…..
Lovely creation …………………..!!
तहदिल आभार आपका…….Nivatiyaji…..
बहुत सुन्दर रचना खूबसूरत भाव….
तहदिल आभार आपका……sharmaji….
खूबसूरत भाव………………….
तहदिल आभार आपका……Shivduttji….
Very nice
तहदिल आभार आपका……Anderyasji….
Bahut sundar
तहदिल आभार आपका……Arunji….
Bahut hi sundar….Sharmaji…
तहदिल आभार आपका……anuji….