Category: प्रदीप कुमार शुक्ल
अक्सर मैंने लम्बे अंतराल के बाद कविता लिखी | कई बार तो २-३ साल बाद ही कोई कविता लिख पाया | इस बीच में, मन में विचार आते पर …
दिल लग जाये तो मैं दिलदार हूँ वर्ना, तुम नदी उस पार, मैं इस पार हूँ | मुझे बेंच कर आशियाना बनाने वाले तू घर में बुजुर्ग रख, मैं …
बहुत चाहता हूँ, पर अब छंद बंधते नहीं जो कभी जिगरी थे मेरे, संग अब चलते नहीं | हर वक़्त का अपना तकाजा होता है, जब दिमाग चलने लगे, …
बहुत चाहता हूँ, पर अब छंद बंधते नहीं जो कभी जिगरी थे मेरे, संग अब चलते नहीं | हर वक़्त का अपना तकाजा होता है, जब दिमाग चलने लगे, …