कविता-मकरंद की मिठास veena 28/12/2012 वीना श्रीवास्तव 2 Comments मुझसे किसी ने कहा कविता है पार्थिव शब्दों का संसार मैं नहीं मानती इन शब्दों में भरी है मकरंद की मिठास सुमन की गंध की महक प्रिया के श्रंगार … [Continue Reading...]
बेबस मन veena 23/12/2012 वीना श्रीवास्तव No Comments आजकल भागता है मन तुम्हारी तरफ अधिकार नहीं रहा स्वयं पर प्रत्येक क्षण मिलने की प्रबल इच्छा तुम्हें देखने की चाहत तुम्हारी बाहों में स्वयं को पाने का आभास … [Continue Reading...]