Category: अर्चना जे
चलते चलते ऐ! मुसाफिर पीछे मुड़कर तो देख कहाँ ले जायेगा तेरा ये सुख सफर में ना तूने दिया किसी को सुख फिर अपने लिए क्यों ढूंढता है तू …
कैसी है पहेली जानू ना अकेली यह कैसी बेबसी रे पास ना आ सकु रे कोना कोना तेरा अहसास दिलाये हर क्षण तेरा प्यार ये मुझे बुलाये तेरी जगह …
यह मेरी बेटी की पहली कविता है जो उसने अपने पापा पर लिखी है | पापा आप कितने प्यारे आपके सामने कुछ नहीं तारे जब आप मुझे गले से …
कुछ क्षणों को मैं बदलूँ रब मुझे वो शक्ति ना दे मेरे प्यार को पा लूँ रब मुझे वो सुंदरता ना दे सारे संसार को खरीद लूँ रब मुझे …
( रेत के घरोंदे शब्द स्त्री के लिए और लहरे शब्द पुरुष के लिए इस्तमाल किया है ) रेत के घरोंदों की तरह मैं बहती जा रही हूँ सागर …
धड़कता है ह्रदय तो सोंचती हूँ तुम मेरे करीब हो जब जब पलकों के दरवाजे बंद होते है, आँखों में तुम आते हो सोंचती हूँ तुम्हारी याद ना आये, …
अपनी सोंच को उड़ने ना दे वही आत्मनियंत्रण है अपने विश्वास को खोने ना दे वही आत्मविश्वास है अपने सच को छुपने ना दे वही तो हरिश्चंद्र की परछाई …
निर्भया केस में तीसरे अपराधी को रिहा किया गया उस दुःख में लिखी गयी है ये कविता बेटी कहती है माँ मुझे आने दे बनूँगी तेरी परछाई माँ मुझे …
माना की इन शब्दों को पिरोया किसी और ने है पर सच ही तो है प्यार अँधा होता है इस अंधे पन में भी प्यार जरूरी है तेरे साथ …
अगर मेरा जीवन एक किताब होता हर वो पन्ना निकाल देती जो मेरे खिलाफ होता – काजल / अर्चना
पल पल देख यूँ ना मुस्कुरा मुझे ये अदा से पिघल जाता हूँ मैं तू कहे या ना कहे इस अदा को प्यार समझ जाता हूँ मैं तू बेवफा …
काश मुझे तुमसे प्यार ना होता तब फिर तेरे हर दर्द का जवाब मेरे पास होता – काजल / अर्चना
संसार के हर अक्षर से पूछ लो हर अक्षर के मेल से पूछ लो सभी गवाही देंगे उन्ही से पूछ लो इस दिल में कितना है प्यार जान लो …
वो लम्हा मुझसे दूर ही रहे जिस लम्हे में तू मेरे पास न रहे दिल ये कहते बार बार रहे तू हर लम्हा मेरे साथ ही रहे दर्द तुझे …
तुझे यादों से मिटाने की कोशिश मेरे होंठो पे तेरा नाम ना लाने की कोशिश पर्वत की ऊंचाई से केवल तुझे देखने की कोशिश आसमान के तारों में तुझे …
मुझे ना निकाल मै ही तो साथी तेरा जब जब तूमने मुझे निकाला दुनिया ने तुझे ठुकराया मुझे छुपने दे ह्रदय में तेरे यूँ आँखों से बाहर जाने का …
नन्हा सा फूल मेरा, मट मैला मट मैला तन छू दो हस दे, पल भर में हो जाये राजन कहता है माँ रहे हर दम मेरे ही संग संग …
खून से लिखी जवानी तेरी ना ये तेरी कहानी, ना ये मेरी कहानी जो थी संसार में सबसे बाँवरी वो ढूंढती एकता की निशानी नहीं मिली उसे कही भाईचारे …
पिता के आँगन से सफर मेरा सजा संवरा दुल्हन का रूप मेरा विद्या का भंडार, सुंदरता की मूरत ऐसा रंग रूप मेरा साजन के आँगन जाने को तैयार सपना …
बीती हुई कहानी में ढूँढू मैं जवानी रे होंठो से हस दू आँखों का क्या करू रे मेरे ही आँगन के चुभे ये काँटे रे आवाज़ न निकालू खून …
मेरी चूड़ी जब खनकती खनक में मधम सी तेरी आवाज़ आती पलकें जो होले से झुकती तस्वीर तेरी नज़र आती होंठो पर मीठी मुस्कान आती मधुर याद तेरी ही …
मैंने “मैं” से किया सवाल तू कहाँ है बता ? “मैं” ने हस कर कहा “इंसान की पहली तरक्की से उसकी चिता तक जाने का रास्ता मैं ही तो …
आहे ! तेरी नज़र जब मेरी अंतिम यात्रा पर पड़ी सभी जल के कहने लगे मेरे नसीब में जन्नत लिखी पड़ी अजनबी की अर्थी को भी लोग कांधा दे …
कभी आवाज़ सुनने को तरसते है तो कभी उन्हें देखने को तरसते है ये सोंच के परेशान है इस वक़्त वो क्या करते है वो खिलते है या हसते …
कहती है – माँ लिख तू मुझ पे कविता क्या लिखू ,कैसे लिखू , तू ही तो है प्रेरणा मेरी। हसती है ,झूमती है,खुशियों से चहकती है कैसे कहु, …