Category: विमल कुमार शुक्ल
मुझसे न कह इस वक्त तू कहीं और जाने के लिए। कंधा किसी का मिल गया सिर को टिकाने के लिए। वो लोग पत्थर हाथ में लेकर मिलेंगे हर …
आँख से आँसू खुशी का ढल पड़ा। बाप के कदमों पे बेटा चल पड़ा।। कारवाँ किस घाट पर लेगा पनाह, ये नया अरमान दिल में पल पड़ा।। ख्वाहिशें दर …
दरवाजे पर नई सुबह की दस्तक तो है। किन्तु आदमी भरे रजाई में खुर्राटे। खोद चुकी है किरण प्रात की कब्र तमस की। कामचोर सूरज चाहे पर सैर सपाटे। …
बात लब तक आयी तो| हमने उसको बताई तो| मेरा कसूर क्या प्यारे | वो समझ ही न पाई तो?
अम्मा बड़ी हताश हैं पप्पू बहुत उदास। सत्ता का घोड़ा छुटा, छुटी हाथ से रास।। रंग बदरंग हो गये। खोपड़े तंग हो गये।। जनाधार को खिसकता देख रहे अखितेश। …
मेरा भी नसीब है मालिक| तू मेरे करीब है मालिक| दिल बगदाद का खलीफा है| तन बिलकुल गरीब है मालिक| मैं कंजूस हूँ हठीला हूँ, रग रग में गुरुर …
बन्दा चाँद पर गया है, वहाँ काम चल रहा है। किसी मुमताज का ताजमहल, बन रहा है। एक वो है जो दोनों जहाँ संभाले है, मेरा दम तो, जमीन …
एक चीज ही चुन पाओगे गन्ना गुड़ या शक्कर में। थोड़ा बहुत छोड़ना होगा कुछ पाने के चक्कर में। चाहे जितनी सेना हो उसके मुस्तैद सिपाही हों। थोड़ी बहुत …
26/04/2015 ऐ! बाले! त्वं कथमट्टाले केशप्रशाधयितुं तल्लीना। गृहम् विशालं तव हे सुमुखे! किं त्वं कुलं कुटुम्बम् हीना। कस्मै अलक संजालं क्षेपस्यसि वीथी हिंस्र जन्तु आकीर्णा। रूपाजीवा इव संलग्ना त्वं …
१३/०६/९५ सहूलियत क्या है बिगाड़ कहिये। जेब खर्च क्या है पगार कहिये। बाप हो गये बुरा क्या बेटे। स्वतन्त्र्ता का अधिकार कहिये। जुनून औरत में मर्द से बढ़। कि …
आ लहू के घूँट दो नीचे उतारें हम हलक से। और फिर कुछ सभ्य होकर भीड़ में खो जायें यारों। है जमाने की यही अब माँग हँसकर आदमी से। …
प्रस्ताव रहा परहेज नहीं मैं आदर करता हूँ| मैं प्रेम प्रिये तेरा ही तुझे न्यौछावर करता हूँ| मैं शांत अनल दहकाओ नहीं | निज आहुति दे भड़काओ नहीं| तुम …
छुटपन में या कहिये बचपन में, जब कभी कार में या बस में, होता था सफर पर, काली कालीन सी सड़क पर, चाहता था, गुजरे सामने से, रेलवे लाइन, …
तुम्हारा रूप, दशहरी आम, सुवासित क्षेत्र। स्वच्छ सर मध्य, विकसता इंदु, बाल-रवि कान्ति। श्रवण लघु कीट करे रोमांच, हृदय में प्यास। पहुंच से दूर, क्षितिज पर शान्त, घनी घन …
विश्वसनीय वेदनाहर, मूँगिया अधर पर मंद हास, तिरछी चितवन ज्यों शल्य चिकित्सा को तत्पर, न्यू शार्प ब्लेड ले शल्य चिकित्सक डटा हुआ है ड्युटी पर। पस पड़ चुकी निराशा …
निज नामावलि में मेरा भी एक नाम तू लिख ले। ओ! सबकी सुधि रखने वाले एक काम तू लिख ले। एक बार मम गाँव द्वार पर निज नयनों में …
१२/७/९६ हे अवनि आत्मज! आज आसुरी राज जगत पर विविध वेश में विविध रूप धर। घोर प्रलय का घोष कर रहा चोर मोदमय संत मर रहा। शरण माँगता दिवस …