Category: राजमूर्ति सिंह ‘सौरभ’
ख़ूब पत्थर उछाले गये आइने तोड़ डाले गये बादलों ने नज़र फेरली आके मुँहतक निवाले गये दुश्मनी पर तुला था कोई और हम हैं कि टाले गये ख़ूबियाँ उनकी …
दर्द में भी मुस्कुराना चाहिए ज़ब्त को यूँ आज़माना चाहिए वो बहुत पछता रहा है भूल पर अब हमें भी मान जाना चाहिए ख़ुद बयां हो जायेगा चेह्रे का …
आग पानी को बताएँ,आग को पानी कहें आपका क्या,आप मुश्क़िल को भी आसानी कहें जी में जो आये करें जो मुँह में आये बोल दें कब तलक करते रहेंगे …
होठों की मुस्कान,नयन का नीर.गज़ल तेरे दिल में सारे जग की पीर ग़ज़ल हमने खोली पाँवों,की ज़ंजीर ग़ज़ल इसके आगे अब तेरी तक़दीरग़ज़ल हरदम तेरे सपने देखा करता हूँ …
स्वर्ग धरापर लाने का एलान कियाहै उसने तुम्हीं बताओ कोई कम एहसान किया है उसने इससे बढ़कर क्या सबूत दूँ उसकी नादानी का अपने मुँह से अपना ही गुणगान …
ज़रा भी आप मत. संकोच रखिए नये कुछ और वादे सोच रखिए जिगर रखिए भले पत्थर सरीखा मगर लहजे में,थोड़ा लोच रखिए नहीं इस बार क्यों बरसीं घटाएँ कोई …
कहें कहना है जो संसार वाले कहाँ डरते हैं आख़िर प्यार वाले मुहब्बत फिर तेरा लहराया परचम पराजित फिर हुए तलवार वाले हमारे साथ होंगे कल यही सब अभी …
जब भी उनसे करो ईमान का ज़िक्र, करने लगते हैं ख़ानदान का ज़िक्र। हम जो करते हैं अम्न का चर्चा, छेड़ देते हैं वो तूफ़ान का ज़िक्र। जब चली …
बदल देता है पल में रुख़ हवा का, है उसकी बात में जादू बला का। लबों पर है कहाँ मुस्कान बाक़ी, कहाँ अब गूँजता कोई ठहाका। वो जिसके पास …
यूं उसे मनाऊँ क्या, ख़ुद भी रूठ जाऊँ क्या। वो मेरा अजीज़ है, उसको आज़माऊँ क्या। अश्क़ बेशक़ीमती, मुफ़्त में लुटाऊँ क्या। हँस रहे हैं दिल के ज़ख़्म, मैं …
हवा में कुछ नमी है क्या, गुलों में ताज़गी है क्या। तू क्यों हैरान है इतना, हक़ीकत खुल गयी है क्या। अदावत पर उतर आया, अदावत लाज़मी है क्या। …
चाहे सबकी ठनी रहे, तेरी-मेरी बनी रहे। तू न रहे घर में जिस दिन, सारे दिन मुर्दनी रहे। मेहनतक़श मज़दूर न हों, फिर क्या कोई धनी रहे। रात अँधेरी …
क़दम तो बढ़ा पहले डर छोड़ के, कभी देख तो अपना घर छोड़ के। वही जिनको ख़ुद पे भरोसा न था, वो घर लौट आए सफ़र छोड़ के। यहाँ …