Category: निशान्त पन्त ‘निशु’
राजनीति से प्रेरित होकर असहिष्णुता को मुद्दा बनाकर पुरुस्कार वापस करने वाले तथाकथित लेखकों, साहित्यकारों, नेताओं, अभिनेताओं व अन्य पर एक व्यंग्यात्मक कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ संभवतः मेरी …
देश का मान है हिंदी। देश का सम्मान है हिंदी। देश की शान है हिंदी। देश की पहचान है हिंदी। हर दिल की जान है हिंदी। शब्दों की पहचान …
शायरी:- 1. दिल में है जुस्तजू सिर्फ तुझे पाने की, ना फिक्र है मुझे इस जालिम ज़माने की। ज़माने ने मोहब्बत को सबकी नकारा है, पर मेरा दिल इस …
ताहिर ने ताहिरी बना दी। शायर ने शायरी बना दी। आशिक़ ने आशिकी बना दी। बेवफा ने बेवफाई बना दी। कमबख्त हम ही नाकारा थे उस जालिम की नज़रों …
धरती के इस पाक स्वर्ग पर, नापाक नजर है पाक की। पर कश्मीर को हासिल करना, औकात नहीं है ‘पाक’ की। चाहे कितने षड़यंत्र रचा लें, इन पाक परस्तों …
जिंदगी की तलाश में, गुज़रते हैं दिन मेरे। तलाश है कि पूरी होती नहीं। समय सीमा समाप्त होती नहीं। ह्रदय की वेदना कम होती नहीं। कब ज्ञान होगा जीवन …
शायर नहीं हूँ मैं लेकिन, शायरी लिखने का ख्वाब रखता हूँ। आशिक नहीं हूँ मैं लेकिन, आशिकी करने का ख्वाब रखता हूँ। दीवाना नहीं हूँ मैं लेकिन, दिल्लगी करने …
तस्वीर तेरी देख कर, दिन गुजरे याद आ जाते हैं। प्यार के पल और मस्ती, के फ़साने याद आ जाते हैं। रहते थे तेरी जुल्फों घने साये में, वो …
कोई मस्ताना कहता है, कोई परवाना कहता है। मेरे दिल की गहराई में झांको, तेरा चेहरा झलकता है। तू मुझसे चली गयी है दूर, मेरे दिल को अखरता है। …
पक्षियों का कलरव, पानी की कलकल, फूलों की सुगंध, सब कुछ खो गया कंकरीट के जंगल में। मशीनी मानव, इंसान रुपी दानव, अबलाओं की चीखें, मानवता का ह्रास, इस …
जब शहर में दिन ढल जाये, बलात्कारी घर से निकल आयें। जब भी कोई अकेली लड़की नज़र आये, वो उस पर अपनी गिद्ध सी नज़र गढ़ाए। लड़की नज़र बचाए, …
हम आम आदमी हैं, पिसते आये हैं. लेकिन ये कब तक चलेगा? हम आम आदमी हैं, लुटते आये हैं. लेकन ये कब तक चलेगा? हम आम आदमी हैं, भ्रष्ट …
भ्रस्टाचार की डगर पर, बच्चो दिखाओ चलके ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्ही हो कल के। दुनिया को रंज देना, और उल्टा सीधा कहना किसी को कुछ न समझना, …
हर तरफ गरीबी है, हर तरफ बेबसी है. हर तरफ लाचारी है, हर तरफ बेकारी है. मासूम जनता की, बस यही एक बीमारी है. देश में हाहाकार है, हर …
रोज़ सुबह जब ठंडी हवा, चेहरे को छू कर जाती है. मेरे तन और मन में, एक मस्ती सी छा जाती है. रोज़ सुबह जब सूरज की किरणें, चेहरे …
चुनावी मौसम चल रहा है। देश पूरा जल रहा है। हर तरफ महंगाई की मार है, भ्रष्टाचारियों से जनता परेशान है। चुनावी मौसम में नेता जनता से मिलने आते …
जीवन के पहलु अनेक अदभुद एवं विस्मयकारी समझ सका ना कोई इसको किये परंतु जतन अनेक। एक समय लगता सब स्थिर दूजे पल होता गतिमान ये जीवन का कड़ा …
जीवन चक्र यह दुनिया का, जो आया है वो जायेगा। माटी की मूरत है इन्सान, एक दिन माटी में मिल जायेगा। घर-मकान और ये धन-दौलत, सब पीछे ही रह …