Category: नक़्श लायलपुरी
हम से पूछो कैसा है वो शेर ग़ज़ल का लगता है वो उन आँख़ों से मिल कर देख़ो जिन आँख़ों में रहता है वो आओ करें उस पेड़ से …
शाख़ों को तुम क्या छू आए काँटों से भी ख़ुशबू आए देखें और दीवाना कर दें गोया उनको जादू आए कोई तो हमदर्द है मेरा आप न आए आँसू …
वो आएगा दिल से दुआ तो करो नमाज़े-मुहब्बत अदा तो करो मिलेगा कोई बन के उनवान भी कहानी के तुम इब्तदा तो करो समझने लगोगे नज़र की ज़बां मुहब्बत …
मैं दुनिया की हक़ीकत जानता हूँ किसे मिलती है शोहरत जानता हूँ मेरी पहचान है शेरो सुख़न से मैं अपनी कद्रो-क़ीमत जानता हूँ तेरी यादें हैं , शब बेदारियाँ …
मेरी तलाश छोड़ दे तू मुझको पा चुका मैं सोच की हदों से बहुत दूर जा चुका लोगो ! डराना छोड़ दो तुम वक्त़ से मुझे यह वक्त़ बार बार …
माना तेरी नज़र में तेरा प्यार हम नहीं कैसे कहें के तेरे तलबगार हम नहीं सींचा था जिस को ख़ूने तमन्ना से रात दिन गुलशन में उस बहार के …
पलट कर देख़ लेना जब सदा दिल की सुनाई दे मेरी आवाज़ में शायद मेरा चेहरा दिख़ाई दे मुहब्बत रौशनी का एक लमहा है मगर चुप है किसे शमए-तमन्ना …
तुझको सोचा तो खो गईं आँखें दिल का आईना हो गईं आँखें ख़त का पढ़ना भी हो गया मुश्किल सारा काग़ज़ भिगो गईं आँखें कितना गहरा है इश्क़ का …
तमाम उम्र चला हूँ मगर चला न गया तेरी गली की तरफ़ कोई रास्ता न गया तेरे ख़याल ने पहना शफ़क का पैराहन मेरी निगाह से रंगों का सिलसिला …
ज़हर देता है कोई, कोई दवा देता है जो भी मिलता है मेरा दर्द बढ़ा देता है किसी हमदम का सरे शाम ख़याल आ जाना नींद जलती हुई आँखों …
जब दर्द मुहब्बत का मेरे पास नहीं था मैं कौन हूँ, क्या हूँ, मुझे एहसास नहीं था टूटा मेरा हर ख़्वाब, हुआ जबसे जुदा वो इतना तो कभी दिल …
कोई झंकार है, नग़मा है, सदा है क्या है ? तू किरन है, के कली है, के सबा है, क्या है ? तेरी आँख़ों में कई रंग झलकते देख़े सादगी है, …
1. नक़्श से मिलके तुमको चलेगा पता जुर्म है किस क़दर सादगी दोस्तो 2. कई बार चाँद चमके तेरी नर्म आहटों के कई बार जगमगाए दरो-बाम बेख़ुदी में 3. …
कई ख्व़ाब मुस्कुराए सरे शाम बेख़ुदी में मेरे लब पे आ गया था तेरा नाम बेख़ुदी में तेरे गेसुओं का साया है के शामे-मैकदा है तेरी आँख़ बन गई …
एक आँसू गिरा सोचते-सोचते याद क्या आ गया सोचते-सोचते कौन था, क्या था वो, याद आता नहीं याद आ जाएगा सोचते-सोचते जैसे तसवीर लटकी हो दीवार से हाल ये …
अपनी भीगी हुई पलकों पे सजा लो मुझको रिश्ताए-दर्द समझकर ही निभा लो मुझको चूम लेते हो जिसे देख के तुम आईना अपने चेहरे का वही अक्स बना लो …
अपना दामन देख कर घबरा गए ख़ून के छींटे कहाँ तक आ गए भूल थी अपनी किसी क़ातिल को हम देवता समझे थे धोका का गए हर क़दम पर …