Category: कांतिमोहन ‘सोज़’
क्या उसे इतना भा गया हूँ मैं बारहा क्यूँ छला गया हूँ मैं । कितना समझा है वो ख़ुदा जाने यूँ तो सब कुछ सुना गया हूँ मैं । …
आजमाना भी जानता है वो भूल जाना भी जानता है वो । दिल लुभाना भी जानता है वो जी जलाना भी जानता है वो । दूर होकर दिखा दिया …
लाल है परचम नीचे हँसिया ऊपर सधा हथौड़ा है ! इस झंडे की शान में साथी जान भी दें तो थोड़ा है !! आधी दुनिया में उजियाली आधी में अँधियारा है …
बोल मजूरे हल्ला बोल काँप रही सरमाएदारी खुलके रहेगी इसकी पोल बोल मजूरे हल्ला बोल! ख़ून को अपने बना पसीना तेने बाग लगाया है कुँए खोदे नहर निकाली ऊँचा …
(ब्रज की लोकधुन पर आधारित) अब आगे बढ़ते जाएँगे, मज़दूर-किसान हमारे मज़दूर-किसान हमारे, आशा अरमान हमारे अब आगे बढ़ते जाएँगे… हाथों की हथकड़ी छूटी, पैरों की बेड़ी टूटी मंज़िल …