Category: जितेन्द्र सिंह तिवारी
नीले आसमान में उड़ता पंछी, नीले समंदर के बारे में क्या सोचता होगा, शायद ऊपर भी आसमान और नीचे भी, ये सोचता होगा| उसको फिर भी क्यूं पड़ी होती …
पथ तेरा क्या, पथ मेरा क्या, इक राह मेरी, तू साथ पथिक, ज्यों धागा जाए पिरोया सुई में, तू आगे, मैं पीछे साथ पथिक। मेरी राह वही, और मंज़िल …
ऐ मालिक, तू मुझे सुकून दे| थक गया हूँ चलते चलते, और नहीं अब चाहता हूँ चलना, या तो मुझे दे एक लंबी नींद, या कभी न सोने का …
कह दो अपनी यादों से तुम, मुझे जलाना छोड़ दें अब, जब तुम्हे नहीं है वास्ता कोई, मुझे सताना छोड़ दें अब। वो चांदनी रात है याद मुझे, आई …
इंसानियत तब रो रही थी खून के आंसू, जब वो मंदिर के सामने भूखा बैठा था, उस पत्थर की मूरत को चढ़े थे पकवान कई, और उस लाचार के …
आंसू बहाना व्यर्थ है तो क्या रक्त बहाना है सही, बारूद के गोलों से भी शांति मिलती है कहीं, युद्ध तो लाखों हुए हैं और विजेता भी कई, आज …
सीख रहा हूँ जीने का फ़न, जिन्दा रहना ही जीना नहीं ये जान गया हूँ, अपनी है पहचान बनानी, मान गया हूँ, राह सुझानी अपनी भी और दूजों कि …
आज जाने क्यूँ बहुत घर याद आ रहा है, वो गलियां, बाज़ार, मैदान याद आ रहा है। किलकारियों की गूँज तो अभी भी होगी वहां, कुछ रोते, सुबकते, कुछ …
कई पहेलियों से कम नहीं जिंदगी होती है, एक सुलझाओ तो दूसरी आड़े खड़ी होती है, मुझे लगा था मैंने समझ लिया फ़लसफा इसका, पर फिर पता चला, यूँ …
मज़हब के नाम पे, मारा कभी किसी को, किसी की लूटी आबरू, जलाया किसी को, किसी को दफ़्न जिंदा, तो किसी को है डुबाया, किसी को कर के नंगा, …
दस्तूर अज़ब हैं दुनिया के, ऊँगली पे सबको नचाते हैं, सब गलत, कुछ सही नहीं, हमपे ये जतलाते हैं। शमशीर उठा कर जज्बे का, घनघोर करो जो विरोध कभी, …
कोई दुआ न छोड़ी, और दवा भी, बदला जीने का ढंग और आबो-हवा भी, पता नहीं क्यूँ ये मर्ज ठीक नहीं होता, इसे चाहिए शायद तू और तेरी वफ़ा …
पीठ पीछे बातें, बनाते हैं लोग, बहुत ही हंसी, उड़ाते हैं लोग, एक बार आसमां कि बुलंदी पे क्या पहुंचे, सर-आँखों पे फिर, यही बिठाते हैं लोग| मत पूछो …
वक़्त बेवक्त ही सही, मेरे ख्वाबों में सही, लहराते बादल सी तुम, आया करो, बरस जाया करो। बहुत सूख गया है मेरा जहन, उस बियाँबान को गुलिस्तां करने, आया …
सुस्त से हो क्यूँ पड़े, करो आह्वान प्राण का, तुममे है जो दबा हुआ,उस असीम ज्ञान का, नहीं कोई पर्वत ऊँचा तुम्हारे इरादों से, फिर क्यूँ देखना आखिर कद …
मेरे साथ जो चलना है तो चलना होगा, सह धूप, बारिश, अंधड़, टिकना होगा, आसान होगी डगर मैंने कब बोला था, देना मेरा साथ, तुम्हे भी जलना होगा। आएँगी …
फैला देना राख मेरी खेतों में मरने के बाद, सोना बनके खेतों में लहलहाउंगा तो क्या बात होगी, मरके भी अमर हो जाऊंगा गेंहू की बालियों में, अगर किसी …
समय की टहनियों पे बैठे हैं, कुछ परिंदे जीवन के रंग में। वो देखो वो कोयल, उसकी कूक में है मेरा रुदन, मेरी माँ का वो प्यार भरा स्पर्श, …
चलो हम कुछ यूँ करें, तुम इस रस्ते जाओ, मैं उस रस्ते, किसी मोड़ पे फिर मिलें अन्जानों की तरह, फिर से वही पहली नज़र का प्यार हो। चलो …
क़त्ल हुआ अरमानों का मेरे, गवाह तुम भी थे, कुछ अरमानों के टूटने की, वजह तुम भी थे, छोटी छोटी ख्वाहिशें मेरी, जुगनू के जैसे, उन ख्वाहिशों में से …