कर्म योगी
वो थे देदीप्यमान सभी अवतारी जो नर थे चाहे थे नारी जीये देश हित ,मरे देश हित पीडा भोगी नित भारी भारी आजादी का व्रत पूरण कर सौप गये धरोहर सारी रक्षा कर पाये हम कितनी ये बात हुई न्यारी न्यारी ठोकर दर ठोकर खाने की अब लत सुधारने की बारीर भूवन भला सब जन का सोचो बनो देशव्रती सत प्रण धारी वक्त अभी भी कुछ नही बिगडा बनो कर्म योगी तुम भुवन बिहारी जन मन के तुम गण बन जाओ करो दूर परिस्थिति पीडा कारी डा. भुपेन्द्र शर्मा (भुवन भारती)