Category: शिवम कुमार शर्मा
छोटी सी ज़िन्दगी और बड़ा झोल है साहेब ! हाँ भी है,ना भी है, ये जनता ढोल है साहेब ! खरीदो सब मिलेगा इस नए बाज़ार में तुमको नये …
थोड़ा वक्त मेरे साथ गुजार कभी, माँ की तरह मुझे भी कर प्यार कभी. मेरी बांहे भी तुझसे लिपटने को तरसती है तू जो हों दुखी तो ये आँखे …
फिर गोलियां चली फिर लोग मरे, फिर सहम गयी ज़िन्दगी फिर लोग डरे. फिर टूट रही डोर है हर तरफ बस चींख का शोर है तू जिसकी रक्षा कर …
उस रोज भीड़ में मैं भी खड़ा था सामने खून में लतपथ कोई पड़ा था उसे यकीन था कोई तो आगे आएगा जिस उम्मीद से हाथ उसका आगे बढ़ा …