आँगन में आती धुप से,
वृक्ष की ठंडी छाव से,
ताजी बहती हवा से,
फरक तो पड़ता है,
कुछ पल के लिए ही सही,
मन अपना भी खिल उठता है|
लोगो के फरेब से,
लोगो के झूठ से,
लोगो के कुतर्क से,
फरक तो पड़ता है,
कुछ पल के लिए ही सही,
मन की शांति हम भी खोते है|
मुस्कुराते चेहरों से,
खुशहाल ज़िंदगी से,
प्यार के मीठे बोल से,
फरक तो पड़ता है,
कुछ पल के लिए ही सही,
मुस्कुरा हम भी लेते है|
लोगो के उदास चेहरों से,
लोगो के टूटे ख्वाबो से,
रूठे हुए से स्वर से,
फरक तो पड़ता है,
कुछ पल के लिए ही सही,
उदास हम भी हो लेते है|
बढ़ते आतंकबाद से,
आपस के झगड़ों से,
किसी के बेतुके बयान से,
फरक तो पड़ता है,
कुछ पल के लिए ही सही,
मन का चैन हम भी खोते है|
अपनों के मीठे बोल से,
बड़ो के आशीर्वाद से,
बच्चो के अपनत्व से,
फरक तो पड़ता है,
हमेशा के लिए ज़िन्दगी में,
सुकून और आनंद रहता है|
बच्चे की प्यारी सी मुस्कुराहट से,
उन के जीवन में ख़ुशी से,
उन के पुरे होते सपनों से,
फरक तो पड़ता है,
माता-पिता के भी जीवन में,
एक ऊर्जा सी बनी रहती है|
अनु महेश्वरी
चेन्नई
बहुत अच्छी… भाव भीनी रचना… फरक तो पड़ता है…. सुंदर….
Thank You, Bindeshwar ji…
फर्क तो पड़ता है आपकी कविता पढ़ने स
हमें आनंद मिलता है………….खूबसूरत अनु जी।
Thank You, Madhu ji…
Wow very nice topic and poem.
Thank You, Anjali ji…
Bahut khoob anu ji
Thank You, Arun ji…
Behad sundar ………..
Thank You, Shishir ji…
बिलकुल पड़ता है और अगर हर कोई ये जान ले तो शायद बहुत सी समस्याएं अपने आप हल हो जाएँ….. बेहद ही सुन्दर रचना….
Thank You, Sharmaji…
यक़ीनन ..आपने दुरुस्त फ़रमाया है …………..!!
Thank You, Nivatiya ji…
बहुत सुंदर रचना.
Thank You, Vijay ji…
Isko padhne ke baad itna hi kahenge ki “vah! Maja aa gya”.
Thank You, Shubham ji…