कभी चाहा था कभी प्यार किया था उसने
कभी मिलने का बहाना बनाया था उसने ।
वो इक दौर भी था जो खता हमनें करी
जीने मरने का इकरार किया था उसने ।
खुदा अब खैर करे खुश वो जहॉ भी रहे
शिकवा नहीं, आंखें चार किया था उसने ।
कलेजा मोम था पत्थर बना लिया हमने
रह गये तंहा दर किनार किया था उसने ।
दिल का जख्म बिन्दु अब उसे कुरेदो मत
वक्त गंवारा था जो निसार किया उसने ।
बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा बिन्दु
बहुत सुन्दर ………….,
सुक्रिया मीना जी..
Bahut sundar…
बहुत बहुत धन्यवाद अनु जी…
WONDERFULL BINDU JI……………………. LOVELY CREATION !!
सुक्रिया निवतिया जी…
Bahut hi sunder……………Lajawaab.
विजय जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया..
Ati sundar Bindu ji. Peer ubhar aai hai.
Thanks शिशिर जी..
bahut achhe
बहुत बहुत धन्यवाद अरूण जी..
laajwaab…………….
दिल से बहुत बहुत शुक्रिया…
behtreen gazal sharma ji……………………
Thanks a lot मधु jee…