ये दो पहिया ये चार पहिया ये छः पहिये की गाड़ी
देखो कैसे हैं जा रही जाने है किसकी बारी
यहा टूटा वहा फूटा कही किसी की जान गई
पढ़ते है रोज अखबारो मे इनका है फिर भी हाल वही
घर से निकलना देर इनकी आदत बहुत पुरानी हैं
टाईम पर पहुचना हैं इनको जल्दीबाजी हैं
जल्दीबाजी मे इनके आगे वाहन जो कोई आ गया
बचते बचाते हल्का भी जो वाहन इनसे टकरा गया
धमका दिया उसी को और गाली भी सुना दिया
जरूरत पड़ी तो हल्का फुल्का हाथ भी चला दिया
लाल बत्ती पर खड़े है ये इनकी मजबूरी हैं
पुलिस वाला खड़ा हैं वरना इसकी भी कहा जरूरी हैं
थोड़ी मुस्तेजी हटते ही ये गाड़ी ले कर चल दिए
पकड़ लिया जो उसने सौ मजबूरी उससे केह दिए
माना तो ठीक नही तो कुछ रूपया हाथो मे रख दिए
चौड़ी करके छाती फिर भाई साहब चल दिए
पूछो तो जरा इनसे है सबसे बुद्धीमान ये
शिक्छित लोगो मे लेते हैं सबसे पेहले नाम ये
क्या कहे औरो की तरह इनका भी यही हाल हैं
मौका पाते इन्होने भी नीयम का किया त्याग हैं
पकड़ लिया जो उसने दे पैसा बचाया मान हैं
फिर भी ये भाई साहब कहते खुदको महान हैं
मत कर इतनी जल्दी ये सब ठीक नही है भाई
इस जिन्दगी के जैसी कोई चीज नही हैं भाई
क्या फायदा कुछ पल के लिए जोखिम मे जान रखना
इससे तो कही अच्छा है नीयम का पालन करना
चल वादा कर यातायात के नीयम का पालन होगा
जिससे फिर किसीको ये कहना नही पड़ेगा
ये दो पहिया ये चार…………….
Good issue has been addressed. Take care of spelling mistakes at few places.
thank you sir
Bahut Sundar
bahut bahut abhar
Meri aur bhi kavitao par nazar dale umeed karta huin aap ko achha lagega
Traffic jam ka aankhon dekha haal bahut sundarata se bayaan kiya hai aapne rachna ke maadhym se .
bahut achha lagta hain aap logo ke comments padh kar . bahht bahut sukriya
सुंदर विचारधारा से रचित वाहनो की उधेड़ बुन…
bahut bahut abhar bindeshwar ji
सुंदर रचना अरुण जी……. बहुत खूब…….
sukriya kajalsonyli ji
bahut khoob…………….
dhanywad sir
वर्तमान जीवन शैली को शब्दों में बांधने का अच्छा कार्य !!
bahut bahut aabhar sir
sahi kaha apne arun ji…………………………
kavita ko padhne aur man dene ke liye teh dil se aabhar
Bahut khub……………………….
thank you vijay ji
Bahut sundar Arunji…
कविता पढ़ने और इसको मान देने के लिए तेह दिल से आभार