स्मृति की इतिहास पटल
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मेरी स्मृति की कागज पर
लिखा हुआ है तुम्हारी प्यार
तुम्हारी झीनी -झीनी साड़ी की आँचल
नीले सागर जैसी दो आँखें
देहभर की यौवन
मुलाकातों पर तुम्हारी मुस्कान।
मुझे धन -दौलत की चाहत नहीं है
यदि मिलती तुम्हारी प्यार
काळा बादलों जैसी केश
नागिन जैसी तुम्हारी चाल
कमल फूल जैसी चेहरा
देखकर मन मोहित होता है।
कपाल में सोने जैसी तिलक
गले सुगंध फूलों की माला
मेरे लिए बेकार है
यदि न मिले जगह तुम्हारी ह्रदय में।
मुझे अच्छा नहीं लगता
फाल्गुन में कोयल की कुक
तुम्हारी पैरों में पायल की रुनझुन
मेरी कानों पड़ती है
लगती है बहुत ही मधुर।
……… चंद्र मोहन किस्कू
बहुत ही सुन्दर
धन्यवाद आपको
प्रेम प्रसंग कि डोरी में आपने अपने महबूबा को मन के मंत्रों द्वारा बांधा है… बड़ी खूब……. आपकी प्रतिक्रिया की प्यासी….. दहेज और ख़ुदा ख़ैर करे…. जरूर पढे
मेरी कविता आपको पसंद आयी ,आपको बहुत धन्यवाद
सर मेरा आपको सलाम है…..आप हिंदी भाषा को ज्यादा न जानते हुए भी निरंतर लिखते हैं…और बहुत सुन्दर लिखते हैं….
मेरी कविता आपको पसंद आयी ,आपको बहुत धन्यवाद। मेरी मार्गदर्शन पुनः धन्यवाद।
बहुत खूबसूरत………………………..!!
मेरी कविता आपको पसंद आयी ,आपको बहुत धन्यवाद। मै मूल संताली भाषा कवि हूँ ,थोड़ी बहुत हिंदी में अभिब्यक्त प्रयास हूँ। भूल चूक हेतु क्षमा चाहता हूँ।
bhut khoobsurat rachana kisku ji……………
धन्यवाद आपको