गौर से देखी मैंने सिक्किम की ख़ूबसूरती
हर पर्यटक का मन मोह लेने वाली मनमोहक आकृति
चाहे हो छोटी नदी धाराओं का उनकी जीवन धारा तीस्ता से मिलन
या हो ऊँचे बर्फीले पहाड़ों का आसमान को नमन
फूल पौधों से सजे रास्ते करती पर्यटकों का ध्यान मगन
खुश होते हम देखकर बादलों का ऊंची चोटियों को समर्पण
रख रखा हो जैसे तीस्ता ने पूरी सिक्किम को अपनी बाहों में
देख ऐसा ही प्रतीत होता सिक्किम और नदी तीस्ता के मिलान के नज़ारे में
प्रकृति का प्रचंड रूप भी देखा पहाड़ों के अवशेष में
भगवान् नटराज के तांडव सी लीला नजर आयी एक एक पेड़ में
ठूंठ बना पेड़ों का जंगल दे रही थी गवाही
प्रकृति के सामने इंसान कुछ भी नहीं यही है सच्चाई
सिक्किम आकर मैंने चार धाम की यात्रा भी कर डाली
शिव के चार धाम और बारह ज्योतिर्लिंगों से सजा एक स्थल इनकी बात है निराली
कुल मिलाकर सिक्किम की खूबसूरती का अब मुझे एहसास है
इस जगह का प्रकृति से रिस्ता बहुत ही ख़ास है
यहां के निवासियों का अपने नदी पेड़ पहाड़ों के लिए जज्बात है
अगर धरती पे स्वर्ग है तो उसका सिक्किम में ही वास है
अति सुन्दर भावनात्मक रचना
Thanks sarvesh
bahut hi sundar rachna apki ,sikkim ki khoobsurti ka bahut hi sundarta se purn wyakhya kiya hain aapne
Thank you Arun ji
Sikkim ki khoobsoorati ko sab ke samaksh lane me aapki rachnaa safal hui hai Shrija. Badhaai.
बहुत बहुत धन्यवाद मधुकर जी
khoobsurat sikkim saundarya varnan……………..
thank you madhu ji
Sikkim mere jaison jisne nahin dekha….aapke varnan se Anand Aa gaya
thanku
Bahut khubsurat……………………
Thank you vijay ji
SIKKIM KI KHUBSURTI KO AAP NE BAKHUBI BAKHAN KIYA HAI BAHUT SUNDER.
Thank you so much sir
आपने घर बैठे ही हमे सिक्किम के दर्शन कर दिये ………बहुत खूबसूरत……….मेरी रचनाओं पर भी अपनी नजरे इनायत कीजियेगा।
जरूर सर,बहुत बहुत धन्यवाद आपका