दोस्तों मेरी नयी कविता को पढ़े-
:: :**: : शीर्षक-बदल गयी तुम::::::::::::**
वक़्त की वजह से हुआ
या फितरत बदल गयी तुम्हारी
एक पल ऐसा भी था
जब तुम मुझे देखे बिना रह नहीं पाती थी
मेरे लिए फिक्रमंद हुआ करती थी
जब कभी मैं नहीं होता तुम्हारे पास
तुम बैचैन हो जाती थी
बदहवास सी होकर मुझे ढूंढती रहती थी
फिर कुछ हुआ ऐसा
बदल गया वक़्त
या बदल गयी तुम
वक़्त के थपेड़ो में तुम खो सी गयी
मेरा चेहरा तुम्हारे आँखों से ओझल हो गया
तुमने अपना दायरा बदल लिया
मैं भी खुद को तुम्हारा बीता वक़्त मान
अपनी जरूरतों में खुद को सिमटा लिया
खैर कोई बात नहीं
चाहे बदल गया वक़्त
या बदल गयी तुम
तुम्हारी यादो के सहारे जीने की कोशिश करूँगा
तुम खुश रहो हमेशा
बस यही दुआ करूँगा
जब तुम्हे किसी मोड़ पर लगे
कुछ छुट गया पीछे
तब देख लेना अपनी आँखों को
और ढूंढ लेना मुझे
मैं तब भी था
और आज भी हूँ
तुम्हारे आँखों में
चाहे बदल गया वक़्त
या बदल गयी तुम——#अभिषेक राजहंस
Very nice…
bhut sundar………………. bs …tumari aakhe….hona chahiye tha yaha pr…
prem ki gehrai chhupi hain aap ki kavita mein bahut sundar
प्यार की एक सुंदर दास्तान
बहुत खूब
बहुत ही लाजवाब………..
very nice ………………!!