आये हो मज़ार पे तो मेरी नज़रों में खामोशियों को देख…
दहकते जज़्बातों पे डाले कैसे कफ़न मैंने उसको देख….
दर्द के समंदर की गहराईयां नज़र आएंगी दिल में तुम्हें…
अपनी चेहरे को मेरे सीने पे टिका दिल से सुन के देख…
तबाही के मंज़र दास्ताँ मेरी सुनाएंगे जब भी कभी….
दुनिया के सितम से पहले नाम तेरा ना आ जाए कहीं…
इस लिए मैंने अपने टूटे दिल को पिरो दर्द में यूं रखा है…
कभी हो गर फैसला हक़ तेरे में नाम अपना लिखा रखा है…
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/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)….
bhut bhav se paripurn sharma ji…………………..
तहदिल आभार आपका……Madhuji…..
Bahut sundar…Sharmaji….
तहदिल आभार आपका…….Anuji…..
Laajawab…………………………
तहदिल आभार आपका…….Vijayji…
sayrana andaj bhi gajab hoti hai …….. aapne apni lekhni mein bahut kuchh ujagar kar rakha hai bahut sunder…..
तहदिल आभार आपका……Binduji….
वाह क्या बात है …….. कितनी गहराई है जज्बातो में ………..दर्द भी है और मुहब्बत भी ………..अति सुन्दर बब्बू जी …….!!
तहदिल आभार आपका……Nivatiyaji….
behad sundar Babbu Ji ………
तहदिल आभार आपका……Madhukarji….
Awesome ……….,
तहदिल आभार आपका……Meenaji…….
dil के दर्द को अपनी जादुई कलम से बहुत ही मार्मिक ढंग से उकेरा है सर आपने …
bahut khub…………
तहदिल आभार आपका……Krishanji….
Behad sunder rachna
तहदिल आभार आपका……Manoj ji….
अति सुन्दर
तहदिल आभार आपका……Sarveshji….
वाहहहहहहह…… क्या जज्बातों का कारवां चल पड़ा है
……………. बहुत बहुत ही लाजवाब…….
काजलजी….स्वागत आपका…बहुत दिनों बाद आईं….तहदिल आभार आपका…….और रचनाएं मेरी जो ज्यादा नहीं हैं इन दिनों लिखी…व्यस्त होने के कारण….आप उन पर भी अपनी नज़र करियेगा….वक़्त मिले तो….