चॉद तहरा के देखनी लोभा गइनी हम
गम जतना रहे सब भुला गइनी हम।
चाह में ऐसे काहे बदल गइनी हम
का कहीं अइसन काहे निकल गइनी हम।
प्यार में धोखा कइसे के खा गइनी हम
जाल में उनकर कइसे के आ गइनी हम।
दिल का कइलस घायल सा हो गइनी हम
रूप में उनके पागल सा हो गइनी हम।
याद इंतजार में काहे रह गइनी हम
बात मननी न केकरो विखर गइनी हम।
चाल अइसन चलल कि हेरा गइनी हम
वक्त अइसन भइल कि घेरा गइनी हम।
एगो कइसन बंधन से बंधा गइनी हम
इश्क के घर में काहे लजा गइनी हम।
बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा बिन्दु
wah
Thanks Shikha jee……
Bahut khoob. Aapki aanchlik bhasha kaa lag hi anand hai…..
bahut bahut hardik dil se sukriya…….
bahut sunder……………………………padh ke tohar rachana bhula gaini hum.
Vijay jee thanks full for your coordination ……
अति सुन्दर …………….भोजपुरी भाषा शैली का प्रयोग करने का खूबसूरत प्रयास !!
D K Sahab tahe dil se sukriya……….
अति सुन्दर …………,
Meena jee bahut bahut kukriya……
Bahut sundar…
Thanks anu jee……
Lovely creation…
आंचलीक भाषा मे रचित आपकी रचना वाकई काबिले तारीफ है…
THANKS KRISHNA JEE…..
मर गईनी हम…….हा हा…..बहुत सुंदर
Tahe dil se bahut bahut sukriya………..
bhut sundar bhojpuri rachana……….
Thanks madhu jee……