सोना तप कर निखरता है,
किसान तप कर मरता है।
सोने की पहचान बहुत है,
किसानों के अरमान बहुत है,
सोना अमीरों की है शान।
भूखे मरते है किसान,
किसान नहीं रहेंगे तो,
अन्न कँहा से आएगा।
कोई कितना भी आमिर हो,
क्या सोना ही खायेगा।
किसान तो खरा सोना है
लेकिन उसके भाग्य मे,
रोना ही रोना है।
फसल की कीमत उसको नहीं मिलती,
सहानुभूति जरूर है मिलती,
कैसे जियेंगे किसान,
बढ़ रहे खाद ,बीज के दाम
बर्षा समय पर होती नहीं,
सरकार ध्यान देती नहीं।
जब खेतों तक पहुँचेगा जल,
तब किसान का होगा भविष्य उज्जवल।
सरकार को करनी होगी नई पहल,
बिन किसान संभव नहीं,
आने वाला अच्छा कल।
तुलसी कुमार
achha paryaas hai kisaan ki zindagi …uske dard ko ….vyatha ko ubhaarne ka……..
thanks
Bahut khub……………………….
Thanks