अपने हाथों मेरे जीवन में ही ये काम हो गया
गलत राहों पे चल तन्हा मैं सरे शाम हो गया
चलेगी ज़िन्दगी गतिमान हो सोचा था ये मैंने
चले कुछ दूर थे लो हर तरफ़ से जाम हो गया
खुशी पाते थे सब जो भी मेरे साथ जुड़ते थे
ना जाने क्या हुआ ग़म ही अब आम हो गया
लोग कहते थे मेरी बातों से तो फूल झरते है
बिष साथ आया विषधर ही मेरा नाम हो गया
बड़ा तरसा हूँ मैं इस जिंदगी में प्रेम की खातिर
मिला मुझको जहाँ भी ये वो मेरा धाम हो गया
शिशिर मधुकर
Very nice…Shishir ji….
धन्यवाद अनु………
ati sundar………….
धन्यवाद बब्बू जी….
Nice….
धन्यवाद आश्विन………
बहुत खूबसूरत शिशिर जी
तहे दिल से शुक्रिया निवतिया जी…
very nice lines and so much beauty …..
धन्यवाद बिंदु जी……
लाजवाब ……………………………..
Shukriya Manoj………..
Ati sundar ……..,
Shukriya Meena ji ………….