हे शिव जब सब ही तेरा हैं
फिर जन जंग तेरा मेरा क्यो
हर शासे हर धड़कन तेरी
ब्ररहमाण्ड का हैं कन कन तू
हर इक मे है तेरी शक्ती
फिर मैं कर्ता मन भजता क्यू
हे शिव जब सब ही तेरा हैं
सुख भी तेरा दुख भी तेरा
रात और प्रभात भी तेरी
जीवन मिले या काल घिरे हो
बढे इशारे पा कर तेरी
फिर काहे भरमाए सुख मन
दुख से आखिर डरता क्यो
हे शिव जब सब ही तेरा हैं
तूने रचा हर एक बनाया
गोरा काला रूप करूप
काटें पुष्प कमल और कीचड़
सागर लहरे छाया और धूप
फिर काहे करे एक प्रेम
दूजे से घ्रिणा मन करता क्यो
हे शिव जब सब ही तेरा हैं
Antardwand ko pradarshit karti achchi rachnaa …….
aap logo ke comments mujhe aur achhe se likhne ke liye prerit karti hain . bahut bahut dhanywad
sundar bhaav…………….
thank you sir
nice thought ………………!!
bahut bahut dhanywad sir
बहुत खूबसूरत……
thank you sir