Homeजानकीवल्लभ शास्त्रीमेरा नाम पुकार रहे तुम मेरा नाम पुकार रहे तुम विनय कुमार जानकीवल्लभ शास्त्री 24/03/2012 No Comments मेरा नाम पुकार रहे तुम, अपना नाम छिपाने को ! सहज-सजा मैं साज तुम्हारा- दर्द बजा, जब भी झनकारा पुरस्कार देते हो मुझको, अपना काम छिपाने का ! मैं जब-जब जिस पथ पर चलता, दीप तुम्हारा दिखता जलता, मेरी राह दिखा देते तुम, अपना धाम छिपाने को ! Tweet Pin It Related Posts तन चला संग पर प्राण रहे जाते हैं रंग लगे अंग ऐ वतन याद है किसने तुझे आज़ाद किया About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply